शिक्षक समाज और राष्ट्र के निर्माता हैं
संपूर्ण भारत वर्ष में 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.प्रत्येक वर्ष भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर शिक्षक दिवस मनाने की परंपरा पुरे इज्जत सम्मान और आस्था के साथ बदस्तूर जारी है.यह दिन देश के उन तमाम राष्ट्र निर्माताओं को सम्मान देने है,जो विद्यार्थियों के साथ साथ समाज और राष्ट्र को वक्त बेवक्त सही रास्ता दिखाते रहते हैं.बात देश के उन तमाम शिक्षकों के बारे में की जा रही है जो अपने मेहनत लगन और परिश्रम से देश और देशवासियों को संवारने में लगे हुए.वे अपने रास्ते में आने वाले किसी भी बाधा का बिना फिक्र किए अपने कर्तव्य पथ पर दिन रात लगे रहते हैं.जिस राष्ट्र में शिक्षक जागरूक होते हैं वह राष्ट्र कभी कमजोर नहीं हो सकता.राष्ट्र को गढ़ने का काम शिक्षकों के हाथ में है,वे जैसा चाहते हैं वैसे व्यक्तित्व और राष्ट्र का निर्माण कर देते हैं.
शिक्षण एक व्यवसाय नहीं सेवा भावना है और इसी सेवा भावना के साथ देश के तमाम शिक्षक काम करते हैं .शिक्षण ही एक ऐसा सेवा क्षेत्र है जिसके शुक्रगुजार दुनिया की तमाम लोग हैं.उन्हें अपनी जिंदगी में कभी न कभी शिक्षक से वाबस्ता जरूर होना पडता है.शिक्षक केवल विद्यालयों महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में शिक्षा देने वाले ही नहीं वे शिक्षक भी शामिल है जो समाज को शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं.अपनी सभ्यता और संस्कृति को पोषण देने का कार्य कर रहे हैं.देश के गंगा जमुनी तहजीब को समृद्धि प्रदान करने का काम कर रहे हैं.जो देश और समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहे हैं.राष्ट्र की एकता और अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए देशवासियों मे धर्मनिरपेक्षता समाजिक सद्भावना भाईचारा और राष्ट्रप्रेम की भावना का संचार कर रहे हैं वे भी शामिल है.इन तमाम शिक्षकों के बदौलत ही मुल्क़ ए हिंदुस्तान विश्व गुरु के रूप में जाना जाता रहा है.भारत के शिक्षकों ने दुनिया को सत्य अहिंसा और भाईचारा का पाठ पढ़ाया.भारत के विद्वान शिक्षकों का ही देन है कि उन्होंने विश्व के सामने वासुद्दैव कुटुंबकम का विचार आगे बढ़ाया.दुनिया को सर्वप्रथम शून्य देने का काम करने वाले शिक्षक भारत के ही थे. दुनिया को आयुर्वेद और सल्य चिकित्सा से परिचित कराने वाले शिक्षक भारत में पैदा हुए.आज विश्व के कोने कोने में हिंदुस्तानी तकनीकी विशेषज्ञ फैले हुए हैं उन को निखारने वाले शिक्षक भारत के हैं.भले ही दुनिया कितनी भी तरक्की कर ले लेकिन आज भी भारतीय प्रतिभा का लोहा मानती है.इसके पीछे भारत के स्वप्नदर्शी शिक्षकों का ही योगदान है.हमारे देश के शिक्षक अभावों में सुदूरवर्ती इलाकों में जा जाकर दुश्वारियां झेलते हुए शिक्षा का चिराग जला रहे हैं जो आने वाले दिनों में भारत के विकास के सारथी बनेंगे.
पिछले कुछ वर्षों में शिक्षकों के प्रति समाज का नजरिया बदला है.इसके पीछे कई कारण है आज शिक्षकों को शिक्षण के अलावा सरकार के बहुत सारे कार्यक्रमों को सफल बनाने का भार उठाना पड़ रहा है. जिसके कारण वे अपने मूल कार्य से दूर हो रहे हैं और अपने दायित्व को निभाने में पूर्ण रूप से सफल होते नही दिख रहे.जिसका प्रभाव उनके गरिमा पर पड़ने लगा है.
सरकार के कुछ गलत नीतियों के कारण एक ही शिक्षण संस्थान में अनेक प्रकार की शिक्षक कार्यरत हैं जिन्हें मिलने वाली सुविधाएं और वेतन भत्ते भी अलग अलग है इससे उनके मन में असमानता का भावना पैदा होता है.फिर वह कैसे अपने विद्यार्थियों में और समाज में समानता का संदेश फैला सकते हैं.सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए ताकि शिक्षक अपने मूल कार्य को कर सकें.शिक्षकों को सौंपे जाने वाले गैर शैक्षणिक कार्यों को कॉलेज में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के माध्यम से पूरा करवाया जा सकता है इससे उन्हें एक नए तरह का अनुभव भी प्राप्त होगा साथ ही उन्हें आर्थिक लाभ भी प्राप्त होगा.प्रत्येक वर्ष शिक्षक दिवस के अवसर पर देश के कोने कोने से सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों का चयन कर राष्ट्रपति द्वारा प्रोत्साहित किया जाता है जो बहुत ही सराहनीय कार्य है.लेकिन इस प्रकार का कार्य हर स्तर पर किया जाना चाहिए ताकि जब राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए शिक्षकों का चयन किया जाए तो उस पर किसी भी प्रकार का प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया जा सके.पंचायत स्तर पर ,संकुल स्तर पर, प्रखंड स्तर पर, अनुमंडल स्तर पर, जिला स्तर पर ,प्रमंडल स्तर पर और राज्य स्तर पर सर्वश्रेष्ठ उपलब्धि हासिल करने वाले एवं सत्य निष्ठा के साथ अपने कार्य को करने वाले शिक्षकों को प्रतिवर्ष सम्मानित किया जाना चाहिए.अगर इस तरह का सम्मान शिक्षकों को प्रत्येक वर्ष दिया जाए तो वे अपने कर्तव्य के प्रति और गंभीर बन सकेंगे और उनमें अपने दायित्व के प्रति एक नए कार्य संस्कृति का जन्म होगा.उन्हें लगेगा उनके कार्य का कोई न कोई मूल्यांकन कर रहा है और इसके बदले उन्हें सम्मान हासिल होगा. जैसे ही किसी विद्यालय के शिक्षक को इस प्रकार के सम्मान मिलेगा समाज का नजरिया व बच्चों की मनो भावना में बदलाव आएगा. उन्हें लगेगा ये शिक्षक विशेष हैं उन्हें उनके अच्छे कार्यों के बदौलत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया. फिर वह शिक्षक जब विद्यालयों में समाज के सामने अपनी बात रखेंगे तो उसका मूल्य बढ़ जाएगा.लोग उनकी बातों को गंभीरता पूर्वक सुनना पसंद करेंगे क्योंकि उनको इस योग्य पहले मान लिया गया है.
शिक्षक दिवस के अवसर पर देश की तमाम शिक्षकों को संकल्प लेना चाहिए वे जहां भी हो अपने कार्य को इमानदारी पूर्वक बहुत ही संजीदगी के साथ करेंगे ताकि कोई उन पर उंगली नहीं उठा सके.जिस प्रकार देश में आदर्श विद्यालय बनाए जा रहे हैं उसी प्रकार आज जरूरत है आदर्श शिक्षकों का चयन कर समाज व देश के सामने प्रस्तुत किया जाए. जिससे शिक्षक अपने आप में बदलाव लाने का प्रयत्न करेंगे उसका सुखद परिणाम देश को प्राप्त होगा.
शिक्षा के बढ़ते व्यवसायीकरण के कारण देश के गरीब वंचित लोग एक बार फिर से मूल्य वर्धित शिक्षा से दूर हो रहे हैं. शिक्षा के व्यवसायीकरण को शिक्षा हित और राष्ट्रहित में रोकना अति आवश्यक है अन्यथा वह दिन दूर नहीं होगा जब हर गली मोहल्ले में ऐसे विद्यालय खुल जाएंगे जो शिक्षा को बेचते नजर आएंगे.उस दिन न तो शिक्षक का सम्मान बचेगा ना देश का. व्यवसायिक शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों में कभी नैतिकता और राष्ट्रभक्ति के भाव का संचार नहीं कर सकता.वह हमेशा उनमें व्यवसायिकता की भावना भरने का प्रयास करता है जो एक गलत प्रकार के प्रतिस्पर्धा को जन्म देगा जिसका खामियाजा तथा राष्ट्र को भुगतना पड़ेगा.व्यवसायिक प्रवृत्ति के शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों का कोई निजी व्यक्तित्व नहीं होता है.उसमें केवल शिक्षण संस्थान और उसके संचालक का मार्केटिंग किया जाता है. इस प्रकार के शिक्षण संस्थान अपने मन के मुताबिक पुस्तकों का चयन करते हैं वे जैसा चाहते हैं वैसे विचारधारा का समावेश करने के लिए स्वतंत्र होते हैं क्योंकि उन पर कोई नियंत्रण नहीं होता.वह किसी भी प्रकार की गतिविधियों को संचालित करने के लिए स्वतंत्र होते हैं इसके लिए किसी भी प्रकार का नियामक संस्था नहीं है.
इसलिए सरकार को चाहिए देश में एक समान शिक्षा, एक समान शिक्षक,एक समान सिलेबस,एक समान परीक्षा प्रणाली लागू करे. साथ ही शिक्षकों को दिए जाने वाले वेतन और अन्य सुविधाओं में राष्ट्रीय स्तर पर एकरूपता स्थापित करना चाहिए.ताकि उन्हें किसी भी प्रकार के भेदभाव की संभावना नजर नहीं आए और वे निश्चिंत होकर अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित रहे.
इस प्रकार के निर्णय लेने के बाद शिक्षा,शिक्षक और देश के सम्मान में बढ़ोतरी होगा.तमाम देशवासियों छात्रों और शिक्षकों को शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाई.
— गोपेन्द्र कुमार सिन्हा गौतम