शिक्षक
1:-
रोशनी बनकर जीवन की राहें हमको दिखाते हैं।
भला क्या है, बुरा क्या है ,हमें हरपल सिखाते हैं।
जन्म माँ बाप देते हैं, भूख रोटी दिला देती ,
‘दिवाकर’ आदमी को आदमी शिक्षक बनाते हैं।
2:-
अरस्तू हैं कहीं पर तो ,कहीं गुरु द्रोण है शिक्षक।
हमारी जिंदगी की मुश्किलों का तोड़ है शिक्षक।
‘दिवाकर’ जिंदगी को जो सफलता की तरफ मोड़े,
जिंदगी की गणित में लाभकारी जोड़ है शिक्षक ।
© डॉ. दिवाकर दत्त त्रिपाठी, गोरखपुर