गुरुवर
मन है आज मेरा बहुत हर्षित पुलकित,
गुरु के चरणों में है पुष्प श्रद्धा के अर्पित।
शिक्षक दिवस है पर्व पावन सुनहरा,
गुरु-शिष्य का रिश्ता है सबसे गहरा।
आपसे ही महकता है यह सारा संसार,
गुरुवर आप ही हैं इस सृष्टि के आधार।
हे प्रिय ! गुरुवर आपके उपदेश और वचन,
करते हैं सारे जग और संसार को चमन।
आपकी महत्ता का मैं क्या बखान करूँ ?,
आपके गौरव का कैसे मैं गुणगान करूँ?
माता-पिता से पहले आपका स्थान आता है,
आपके आगे ईश्वर भी नतमस्तक हो जाता है।
डरती है मेरी कलम आपके लिये लिखने में,
की कोई भूल न हो जाये शब्दों को गढ़ने में।
हे गुरुवर ! “नवनीत” करता है बार-बार वंदन,
आपके चरण स्पर्श से मैं हो जाता हूँ सम चंदन।
— नवनीत शुक्ल