लघुकथा

लघुकथा – संकेत

मैं आज कालेज के दीक्षांत समारोह में गोल्डमैडल प्राप्त कर खुशी-खुशी घर लौट रहा था और रास्ते में सोचते आ रहा था कि बाबूजी, भैया-भाभी और छोटी मेरी बहन सबलोग कितना प्रसन्न होंगे।  पिताजी के सेवानिवृत्त हुए आठ साल हो गये थे और घर के सभी खर्च भैया के वेतन से ही चल रहा था, भैया अकेले ही हमसबों की जरुरतों को निसंकोच ही पूरा किये जा रहे थे, और भाभी भी हमलोगो की सेवा में कभी कोताही नहीं बरतती थी.
 जब मैं मोटरसाइकिल  गेट के पास लगाकर घर के अंदर प्रवेश करने लगा था तो चिड़ियों की चहचहाहट से सारा आंगन गुंज रहा था… दूर खड़ी भाभी को मैं बोला- भाभी लगता हैं कि मेरी सफलता का पता इन परिंदो को भी चल गया है… देखो न कैसे चहचहा रहे हैं,तो भाभी धीरे से मुस्कुरा कर बोली-नहीं देवरजी! ऐसी कोई बात नहीं हैं,सुनिये…. चिड़िया जो बैठी है, वह अपने छोटे बच्चों को जो  बड़े हो गयें हैं-  उन्हें  जिविकोपार्जन करना सिखा रही हैं, और अपने सिमटे दायरे से निकलने को प्रेरित कर रही हैं.
… और मैं भाभी के इस कथन को एक संकेत…. मुझे सबकुछ अब अकस्मात ही समझ में आने लगा था कि डिग्रियों से परे भी कुछ होता है…और  मुझे अहसास हो रहा था कि दायरे…. को बढाने का मतलब भी साफ था..कि…
— संजय श्रीवास्तव

संजय श्रीवास्तव

पिता का नाम-स्व.मिथिलेश्वर प्रसाद प्रकाशन विवरण संक्षिप्त में - मेरी रचनाएँ लघुकथा,आलेख, कविता विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में यथा तारिका, दर्शन मंथन, बाजार पत्रिका, बेगूसराय टाइम्स,मानवी, वैचारिक कलमकार, परिजात कल्प, कमलदल, सम्मार्जनी,संध्या प्रहरी, पहूंच, तथा गृह पत्रिका नालन्दा,अर्जन, पाटलिपुत्र में आदि में प्रकाशित हो चुकिं हैं। साथ ही, "न्यू इंडिया और हम" कविता संकलन में भी प्रकाशित हो चुकी हैं.मेरी लघुकथाएं साझा संकलन "लघुकथा के रंग" और "संचिता " में प्रकाशनार्थ हैं। जन्मतिथि-10/01/1963 शिक्षा-एम. ए (हिन्दी साहित्य) लेखन की विधाएं-कहानी,लघुकथा और कविता व्यवसाय-सरकारी नौकरी प्रशासनिक अधिकारी, दी न्यू इंडिया एश्योरेंस कं.क्षेत्रीय कार्यालय, पटना पता- किसान कोलोनी, फेज-2 प्रगति पथ, अनीसाबाद, सत्या गैस एजेन्सी के नजदीक पटना-800002 बिहार मोबाइल नं-9835298682 ईमेल एडे्स- [email protected]