लघुकथा

“अंग्रेजी का सच”

मैं और मेरा बेटा रिषु डायनिंग टेबुल पर बैठकर खाने के इंतजार कर रहे थे,तभी मेरी पत्नी बोली-नये तरीके का डीस बना हैं।रिषु अंग्रेजी में एक शब्द का इस्तेमाल किया तो मैं बोला -इतना टफ अंग्रेजी शब्द क्यों इस्तेमाल करते हो! मम्मी नहीं समझ पायेगी और मैं बोल पड़ा.. इसको हिन्दी में सदृश( मिलता-जुलता) कहा जाता हैं..
रिषु बोला-आप भी तो हिन्दी टफ बोल रहें हैं और हमें तो रिजमबल का मेनिंंग सिमेलिरिटि आता हैं, आप लोगों ने ही तो सिखलाया हैं, हमें हिन्दी का शब्द कहां बताया गया हैं। हमारे टीचर ने तो अंग्रेजी का अर्थ अंग्रेजी में ही सीखने का हिदायत दी थी, तो हमें हिन्दी शब्द की जानकारी कहाँ से होती। जो शिक्षा मिली हैं, वहीं तो हमलोग जानते हैं।

…..और मैं सोचने लगा था कि वह सच कह रहा हैं,इन जैसे सभी बच्चों को संस्कार,सभ्यता और संस्कृति की शिक्षा हम कहाँ दे पाये ..हम सभी तो सिर्फ अंग्रेजों के जाने के बाद भी उसी के प्रभाव में अपने देश के नौनिहालों को अंग्रेजी माध्यम से पढानें की होड़़ में लगे रहे और उच्च शिक्षा..देने के ऐवज में अपनी सभ्यता, संस्कृति से कोसो दूर होते जा रहे हैं…..

संजय श्रीवास्तव

पिता का नाम-स्व.मिथिलेश्वर प्रसाद प्रकाशन विवरण संक्षिप्त में - मेरी रचनाएँ लघुकथा,आलेख, कविता विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में यथा तारिका, दर्शन मंथन, बाजार पत्रिका, बेगूसराय टाइम्स,मानवी, वैचारिक कलमकार, परिजात कल्प, कमलदल, सम्मार्जनी,संध्या प्रहरी, पहूंच, तथा गृह पत्रिका नालन्दा,अर्जन, पाटलिपुत्र में आदि में प्रकाशित हो चुकिं हैं। साथ ही, "न्यू इंडिया और हम" कविता संकलन में भी प्रकाशित हो चुकी हैं.मेरी लघुकथाएं साझा संकलन "लघुकथा के रंग" और "संचिता " में प्रकाशनार्थ हैं। जन्मतिथि-10/01/1963 शिक्षा-एम. ए (हिन्दी साहित्य) लेखन की विधाएं-कहानी,लघुकथा और कविता व्यवसाय-सरकारी नौकरी प्रशासनिक अधिकारी, दी न्यू इंडिया एश्योरेंस कं.क्षेत्रीय कार्यालय, पटना पता- किसान कोलोनी, फेज-2 प्रगति पथ, अनीसाबाद, सत्या गैस एजेन्सी के नजदीक पटना-800002 बिहार मोबाइल नं-9835298682 ईमेल एडे्स- [email protected]