हुआ जा रहा इश्क़ तारी लगे।
कि जी में अजब सी खुमारी लगे।।
जरा ग़म के आते दफ़ा हो गई
ख़ुशी दाँव हारी जुआरी लगे।
बहुत देर रोया सुना जो मुझे,
कहानी है इक सी हमारी लगे।
दुआ ओ दवा का असर भी हुआ,
नज़र भी किसी ने उतारी लगे।
हँसाता, रुलाता ,नचाता हमें,
ख़ुदा भी ग़ज़ब का मदारी लगे।
सिमट सी गई है बदलियां घनी,
खुली ज़ुल्फ़ उसने सँवारी लगे।
गली से तुम्हारी गुजरती नहीं,
हवा भी सताई तुम्हारी लगे।
सुकूँ,चैन दिल का फ़ना जो करे,
खुदा ना करे वो बिमारी लगे।
— आशा पांडेय ओझा