कविता

हिंदी भाषा को नमन

शीतल व सुन्दर स्वरूप,
कुछ ऐसा है उसका प्रारूप
प्रिय है वो सबकी,
साधारण मनुज हो या भूप

साहित्य और रचनाओं का संगम,
नवीन और प्राचीन का समागम!
भावों से भरपूर, रसों से सम्पूर्ण,
कर्णों के लिए जैसे सुरीली सरगम!

सब मंत्र मुग्ध हो जाते सुनके,
आता  परम आनन्द!
केवल प्रयोग मात्र से,
ये अभिव्यक्ति, हो जाती स्वच्छन्द!

प्रेमचंद की कहानियों जैसी
सादी और सरल!
महादेवी वर्मा या दिनकर के
पद्यों जैसी अपूर्व व तरल!
हरिऔध – निराला की रचनाओं
जैसी अतुलनीय व मृदुल!

राष्ट्रभाषा तुम हो हमारी,
गर्व है तुमपर हमें!
अप्रतिम भव्यता है तुम्हारी,
कोटि कोटि नमन है तुम्हें!

— रूना लखनवी

रूना लखनवी

नाम- रूना पाठक उप्पल (रूना लखनवी) पता- दिल्ली, भारत मैंने बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातकोत्तर किया है। वर्तमान में, मैं एक फार्मास्युटिकल कम्पनी में वरिष्ठ प्रबंधक की तरह कार्यरत हूँ। साहित्यिक उपलब्धि :- वूमेन एकस्प्रेस, दक्षिण समाचार प्रतिष्ठा, आज समाचार पत्र , कोलफील्ड मिरर , अमर उजाला काव्य (ऑनलाइन) , पंजाब केसरी (ऑनलाइन) , मॉम्सप्रेस्सो में कविताएँ, लघु कथा कहानी, स्वतंत्र अभिव्यक्ति की रचनाएँ प्रकाशित। सम्पर्क https://www.facebook.com/Runa-Lakhnavi-108067387683685 सम्मान: 1. मॉम्सप्रेस्सो हिन्दी लेखक सम्मान; 2. राष्ट्रीय कवयित्री मंच- नारी शक्ति सम्मान 2020 3. साहित्य संगम संस्थान- सम्मान 4. अभिनव साहित्यिक मंच - सम्मान