कविता प्रेम निकिता कुमारी 11/09/2020 प्रेम अमर रत्न की , वो एक मुस्कुराहट है , जिस रत्न से हम सराबोर हैं , नभ की अभिकल्पनाओं में , जीवन तरंगित हुआ मन पुलकित हुआ , मन द्रुम्लित हुआ , नेह नयनों की आभा , प्यार के फूल में , दिल विस्मित हुआ ! — निकिता कुमारी