हिमालय मात्र हिमाच्छादित सामान्य पहाड़ नहीं है।
अपितु…
राष्ट्र-सीमा पर विराजमान महासिंह की दहाड़ है।।
हिमालय इस धरती का मात्र इक पहाड़ी भाग नहीं है।
बल्कि…
हमारी दृढ़ आस्था और विश्वास की स्थिर ढ़ाल है।।
हिमालय मात्र अलौकिक सुन्दरता का पर्याय नहीं है।
अपितु…
यह हमारे धर्म और आद्यात्म का स्वर्णिम भाल है।।
हिमालय इक सैर-सपाटा करने का स्थान नहीं है।
बल्कि…
हमारी ऊंची उड़ान अर महानतम सोच का पहाड़ है।।
— शम्भु प्रसाद भट्ट ‘स्नेहिल’