हिंदी
बयां कर सकूं जिससे जज्बात मेरे
वो जुबां हिंदी है
अब तो मेरी दिलरुबा हिंदी है
मेरे जेहन-ओ-ख्याल का अरमान हिंदी है
मेरे वतन की आन-बान-शान हिंदी है
जो रहता है हर वक़्त मेरी जुंबा पर
वो नाम हिंदी है
दिलो में मोहब्बत का पैगाम हिंदी है
छुपे है जिसमे लाखो अहसास
वो भाषा हिंदी है
मेरे दिल की अभिलाषा हिंदी है
जो दिल मे देशप्रेम की आग लगा दे
वो हिंदी है
जो हर कविता को प्यार का राग बना दे
वो हिंदी है
जो अंधेरो में भी रोशनी की ज्वाला जला दे वो हिंदी है
जो सभ्यता ,संस्कृति को बचा ले वो हिंदी है
हिंदुस्तानी दिलो के पास है जो वो हिंदी है
हर देशवासी को रास है जो वो हिंदी है
— कैलाशसिंह राठौड़