कविता

शहर और गांव

यूँ शहर – गाँव के किस्सो में,
बट  गए हैं,  हम दो हिस्सो में।
रात चांद और घना अन्धेरा,
मिलते खुद  ही से किश्तो में।
नगर-नगर  एक हवा चली हैं,
 ढूंढे “यादे” को “किस्सो” में।
कैद सारे जज्बात ऐसे,
जैसे “जाने” हो  “जिस्मो” में।
वो गीत गजलें हो चली हैं पुरानी,
डूबे चले युवा डिस्को में ।
नौका , पनघट, और गुमटीया चाय की,
दौर वो जुदा था हर किस्मो में।
यूँ शहर गाँव के किस्सो में बट गए हम दो हिस्सो में।।
— फातेमा 

फातेमा किरानावाला

पति: श्रीमान हुज़ैफा किरानावाला। पिता: श्रीमान अनवर हुसैन। माता: श्रमती तसनीम अनवर हुसैन। *जन्म*: 10-10-1995 (उज्जैन) *शिक्षा*: स्नातक (जैव प्रौद्योगिकी) Biotechnology. *विषय*: (प्राणी विज्ञान, रसायन विज्ञान)। *डिप्लोमा*: ब्यूटी पार्लर, फैशन डिजाइनिंग। प्रकाशित पुस्तक: ■1 पुस्तक बतौर संकलक, नाम- How It All began!!, ■5 पुस्तक साझा संकलक, नाम- आशिक़नामा, Where India Writes, Dear Stranger, Black, लॉक डाउन अनुभव। *अनुभव*: विभिन्न प्रतियोगिता में लेख, कविताएं। ब्लॉग। फ़ेसबुक पर स्वयं लेख पेज, नाम: FINDING DESTINY. *शौक*: लिखना, पढ़ना, नई भाषाए सीखना, हर चीज़ को उत्साह की नजरो से देखना, यात्रा करना, योगा। *रूचि*: पेंसिल रेखांकन, संगीत, आर्टस, मेकअप आदी। ई-मेल: [email protected] फ़ोन नम्बर: 8224033439