सूचना और शिकायत में अन्तर समझे
सूचना के माध्यम से आँकड़ो का एकत्रीकरण करके उन्हे सम्बंधित संस्था, प्राधिकारी और सरकार तक प्रेषित किया जाता है, ताकि आपके सेवारत क्षेत्र को अधिक कार्यकुशल व प्रभावी बनाया जा सके। सूचनाओं का आदान- प्रदान एक नियत व्यवस्था के तहत सम्पादित होता है। सूचनाओं के संकलन के लिये संस्था,विभाग,सरकार या अधिकारी द्वारा किसी कर्मचारी को नियत किया जाता है। जिसका कार्य अपने कार्यरत विभाग,क्षेत्र या प्रदत्त सूचनाओं का संग्रहण कर उन्हे संबंधित प्राधिकारी तक प्रेषित करना होता है। जो सूचनाये उसे अपने सहकर्मियों तथा संबंधित क्षेत्र के व्यक्तियों द्वारा उपलब्ध करायी जाती है। वह सभी प्रदत्त सूचनायें सम्बंधित प्राधिकारी को तुरंत उपलब्ध करा देता है। परन्तु कुछ लोग सूचना प्रदान करने में लापरवाही करते है। विभाग या संस्था द्वारा माँगी गयी सूचना को नामित व्यक्ति तक भेजते ही नही है। कभी- कभी सूचना देने में अति विलम्ब कर देते है। जिससे विभागीय कार्यों में बांधा भी उत्पन्न होती है। कुछ कर्मचारी लापरवाही और उदासीनता दिखाते हुये स्वयं सूचनाएँ उपलब्ध नही कराते है और इसी के साथ सूचना संग्रहण करने वाले पर आरोप लगा बैठते है कि उसने संबंधित अधिकारी से उनकी शिकायत कर दी। यह बात उन कर्मचारियों को स्वयं ही समझनी चाहिये कि अमुक व्यक्ति का कार्य सिर्फ सूचनाओं का आदान- प्रदान करते हुये विभागीय कार्यों को सम्पादित करना है। जब आप सूचना उपलब्ध ही नही करायेंगे तो आपकी सूचना सम्बंधित अधिकारी तक कैसे पहुँचेगी? जब आपने लापरवाही व अरुचि दिखाते हुये सूचना दी ही नही तो नामित सूचना संग्रहकर्ता आपकी सूचना प्राप्त कैसे दिखा सकता है?
ऐसी स्थिति में विभाग,संस्था या अधिकारी आपसे सूचना न उपलब्ध कराने का कारण जरूर ही पूंछते है। यदि आपको इसलिये उनके द्वारा दंडित किया जाता है तो आपको आपकी गलती, उदासीनता और लापरवाही के कारण इसका सामना करना पड़ता है। सूचना संग्रहकर्ता सूचनाये प्राप्त होने प्राप्त और न मिलने पर अप्राप्त दिखाना उसका कर्त्तव्य है।
वह सिर्फ सूचना देता है कि किसने आँकड़े उपलब्ध कराये और किसने नही। कुछ कर्मचारी तथा सहकर्मी इसे शिकायत समझ लेते है।
ऐसी स्थिति में सूचना और शिकायत मे अन्तर को समझना अति आवश्यक हो जाता है। सूचना किसी घटना,विशेष बात या आँकड़ो के आदान- प्रदान से सम्बंधित है। ये एक निर्धारित समयावधि में के लिये होती है।
जब कि शिकायत का क्षेत्र अत्यधिक विस्तृत है। शिकायत कोई भी, किसी की भी और कभी भी कर सकता है। यदि किसी बात, व्यक्ति या घटना से आपका व्यक्तिगत ,समाज या देश को क्षति होती है या होने की आशंका होती है तो आप पहले से निर्धारित या संबंधित पटल,संस्था,अधिकारी या सरकार को अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है। यदि आप किसी के द्वारा मानसिक, शारीरिक या आर्थिक रूप से प्रताड़ित किये जा रहे है तो इसकी शिकायत करके आप उसका निस्तारण प्राधिकारी से प्राप्त कर सकते है।
शिकायत का दायरा भी सरकार द्वारा निश्चित किया गया है। यदि आप किसी को सिर्फ परेशान करने, नीचा दिखाने के लिये या उसे प्रताड़ित करने के लिये उसकी झूठी शिकायत करते है तो यह अक्षम्य अपराध की श्रेणी मे आता है। इसलिये जब नितान्त ही आवश्यक हो तभी अपनी शिकायत दर्ज कराये।
अब आशा है कि सूचना को शिकायत समझने की भूल आप कदापि नही करेंगे। आप अपने विभाग,संस्था,अधिकारी और नामित व्यक्ति को सूचना का आदान- प्रदान करते हुये ठीक से अपने दायित्व का निर्वहन करेंगे।
— अभिषेक कुमार शुक्ला