चंचल मन
ये मन, कितना चंचल है यह मन
इसकी क्या बात करें, बड़ा अनोखा है मन
मीलों का सफ़र पल में तय करता है मन
जागती आंखों में ख्वाब सजाता है मन
इस पल जो पहुंचा चांद सितारों तक
तो दूसरे पल वसुंधरा के गर्भ तक
डुबकियां लगाता है सागर की गहराइयों में
उड़ान भरता है आकाश की ऊंचाइयों तक
गम के तूफान से आंसुओं की बारिश तक
खुशी के आहट मुस्कुराहट के पैमाने तक
रखे लेखा जोखा सारे भले बुरे कर्मो का
इसके नैनों से कोई बात न छुप सके
मन से न जीत पाए कोई भी यान
इसकी गति दे बड़े बड़े वाहनों को मात
इसकी क्या बात करें, बड़ा अनोखा है मन
मीलों का सफ़र पल में तय करता है मन
जागती आंखों में ख्वाब सजाता है मन
इस पल जो पहुंचा चांद सितारों तक
तो दूसरे पल वसुंधरा के गर्भ तक
डुबकियां लगाता है सागर की गहराइयों में
उड़ान भरता है आकाश की ऊंचाइयों तक
गम के तूफान से आंसुओं की बारिश तक
खुशी के आहट मुस्कुराहट के पैमाने तक
रखे लेखा जोखा सारे भले बुरे कर्मो का
इसके नैनों से कोई बात न छुप सके
मन से न जीत पाए कोई भी यान
इसकी गति दे बड़े बड़े वाहनों को मात
— डा. शीला चतुर्वेदी ‘शील’