राजनीति

कृषि बिल 2020 या किसान बलि बिल 2020 !

कृषि बिल क्या किसानों के साथ एक और छलावा है जो उन्हें विकास के नाम पर दिखाया जा रहा है | सदियों से सरकारे कृषि सुधार, अधिक उपज, अधिक लाभ के नाम पर किसानों के साथ धोखा करती आई हैं | चुनावों से पहले उन्हें बड़े बड़े सपने दिखाए जाते हैं और फिर सपने सपने ही रह जाते हैं वो कभी कभी हकीकत नहीं बन पाते सरकारे आती जाती रहती और किसान रोता रह जाता | वर्तमान सरकार ने भी कागजी आँकड़े तो खूब प्रस्तुत किए पर वो काभी जमीनी हकीकत नहीं बन पाए | अब जब एक बार चुनाव मौसम आ रहा है तो एक बार से सरकार ने तंबू गाड़ने शुरू कर दिए हैं | जिसका जीता जागता उदाहरण कृषि बिल है सरकार कहती है इससे एमएसपी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा पर बिल मे इसका कही भी वर्णन नहीं है दूसरी तरफ भंडारण से रोक हटा ली गई | अब डंप माफिया जितना चाहे भंडारण कर ले और फिर उसकी चाहे जितनी ब्लेक मेलिंग करें कोई रोक नहीं है | खूब भरो–खूब लूटो सरकार तुम्हारे साथ है| जिस तरह से हर क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा मिल रहा और बेरोजगारी बढ़ रही| अब कृषि क्षेत्र मे भी वही होगा | सरकार से संपर्क रखने वाली बड़ी बड़ी कंपनियां औने पौने दाम पर किसानों से उपज खरीद कर उसका संग्रह करेंगी और फिर उसे बाजार मे अपने मुनाफे के अनुसार बेचेंगी | जिससे खेती और बाजार दौनों पर बड़े बड़े पूँजीपतियों का अधिकार हो जाएगा | धीरे-धीरे बड़े बड़े पूँजीपतियों का पूरे बाजार पर एकाधिकार हो जाएगा | और एक समय ऐसा आएगा जब कंपनियां अपनी जरूरत के अनुसार किसानों की जमीन पर निवेश करेंगी और लाभ कमायेंगी | किसान ऐसे में किसान के पास दो ही ऑपसन होंगे या तो वो बंधुआ मजदूर बन कर ता जीवन कंपनियों की गुलामी करता रहे या फिर कंपनी को सस्ते दाम पर अपनी जमीन बेच दे | दोनों ही स्तिथियों में आत्महत्या ही एक आखिरी रास्ता होगा जो किसान हमेशा से करता आया है |

ऐसे मे यह कहना गलत न होगा कि कृषि बिल के बाद समृद्धि के नाम पर किसान के गले मे रंग बिरंगी टाई तो होगी पर उसे बांधने और खोलने का अधिकार पूँजीपतियों के पास होगा जिससे वो जब चाहेंगे तब किसान को नंगा कर देंगे

साथियों आइए हम सब मिलकर इस काले कानून का पुरजोर विरोध करे और किसानों के हित में मिलकर आवाज़ उठाये |

— के एम भाई

के.एम. भाई

सामाजिक कार्यकर्त्ता सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक लेखन कई शीर्ष पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित ( शुक्रवार, लमही, स्वतंत्र समाचार, दस्तक, न्यायिक आदि }| कानपुर, उत्तर प्रदेश सं. - 8756011826