कहानी

फेसबुक

फेसबुक चलाने में मुझें इतना मजा नहीं आता था। पर रोज फेसबुक पर कोई ना कोई रिक्वेस्ट आ जाती थी।मुझें बड़ा अजीब लगता था,अनजान लोगों से जुड़ना।कभी-कभी मन में आता था कि डिलीट कर दूँ फेसबुक को।पर आजकल फेसबुक पर एक्टिवेट ना होना भी—-।
सहकर्मी पूछ ही लेते थे,सर आप भी फेसबुक पर हो क्या? आपकी आई डी किस नाम से है। हम आपसे जुड़ना चाहते हैं। मैं बड़ा हैरान था कि हम रोज फेस टू फेस मिलते हैं। फिर भी फेसबुक पर ऐसा क्या खास हैं? जो हर आदमी उस पर अपना अकाउंट रखना शान की बात समझता हैं।
मुझें लगता था कि इंसान अपनो के बीच रहकर भी कितना अकेला होता जा रहा हैं?जब दोस्त सामने होता हैं,तो उसे कोई बधाई नहीं देता। पर जब फेसबुक पर होता है तो कमेंट की झड़ी लग जाती है। लुकिंग स्मार्ट, हैंडसम और पता नहीं क्या-क्या?
आज फेसबुक पर पूजा की रिक्वेस्ट देखी, तो सोच में पड़ गया।मुझें कौन सी पूजा जानती हैं?पर प्रोफाइल देख कर हैरान था।वह एक शादीशुदा महिला थी।पिक देख कर लगा बहुत ही वेल-लुकिंग महिला थी।पर चेहरा जाना-पहचाना लग रहा था। पर समझ में नहीं आ रहा था,कौन हो सकती हैं?
ऑफिस से निकलकर घर पहुँचा तो बच्चे भी फेसबुक पर लगे हुए थे।उन्हें डाँटना चाहता था,पर कुछ कह कर व्यर्थ का क्लेश नहीं चाहता था। पत्नी भी बच्चों के साथ फोटो देख-देख कर हँस रही थी। उसे भी जैसे, मेरे घर आने का अहसास ही नहीं था।
इस फेसबुक ने तो बेड़ा गर्क कर दिया है देश का। जिसे देखो उसी पर लगा हुआ है।क्या बात है रजनी, इतनी मग्न हो कि घर कौन आया है इसका भी ख्याल नहीं है तुम्हें? अरे पता है आप आ गए हैं।इससे पहले में कुछ कहता,जाओ हाथ-मुँह धो लो।मैं आपके लिए चाय लेकर आती हूँ।वह उठकर किचन की तरफ चली गई,लगभग दौड़ती हुई जैसे उसकी ट्रेन छूट रही हो।
रजनी, अब आ भी जाओ।चाय ठंडी हो रही हैं।पता नहीं तुम्हें फ्रेश होने में कितना समय लगता है?आ रहा हूँ, महारानी!महारानी सुनाते ही भड़क गई रजनी।मैं कहाँ की महारानी हूँ?मेरे घर की, मैंने माहौल को हल्का करने के लिए कहा। मैं तो सिर्फ नाम की महारानी हूँ।अगर आप मुझें महारानी मानते, तो कम से कम एक स्मार्टफोन ही दिला देते। और कितने स्मार्ट फोन चाहिए, इस घर में।तीन स्मार्टफोन तो पहले से ही है। पर मेरे पास तो नहीं है एक भी।उसने तुनक कर कहा। तुम मेरा फोन रख लो।
बच्चें,मेरी चाय पीते हुए एक फोटो खींच रहे थे।ये क्या कर रहे हो?पापा की फ़ोटो फेसबुक पर डालना।बहुत लाइक मिलेंगे।तुम भी कमाल करती हो,मुझें ये सब अच्छा नहीं लगता?वह फिर इतराकर बोली,पर मुझें अच्छा लगता हैं।ठीक हैं, जो तुम्हें अच्छा लगे करो।
रात भर नींद नहीं आई, ढंग से। पता नहीं मैं सहज क्यों नहीं था? पत्नी और बच्चे सभी फेसबुक का इतना आनंद उठा रहे थे।और मुझें लगातार नजर-अंदाज कर रहे थे। मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर इन सभी को कैसे समझाऊं? फेसबुक एक-दो घण्टा चलाना तो सही हैं। पर ये दिन- रात उस पर चिपके रहते हैं।आज मुझें बच्चों से बात करनी होगी, यह बुरी आदत हैं, इसे छोड़ने ही होगा। पर कैसे समझाऊँ?
पहली बात तो रजनी को ही समझाना पाना टेढ़ी खीर हैं, वही नहीं मानेगी।बहस में उसे जीत पाना कठिन हैं। घड़ी की टिक- टिक मुझे उठने के लिए कह कर रही थी। मैं झट-पट उठा और अपनी आदत के अनुसार सैर के लिए निकल पड़ा। प्रकृति के बीच रहना मुझें बचपन से ही बहुत पसंद था।नंगे पाँव घास पर टहलना मुझें बहुत पसन्द था।ओस की बूंदे मोतियों की तरह चमक रही थी,चारों तरफ़ हरियाली ही हरियाली बिखरी थीं।दूर से सूरज की किरणें भी अपना हल्का-हल्का प्रकाश बिखेर रही रही थी।मुझें यह सब बहुत सुख देता था। वैसे भी आजकल सुकून था ही कहाँ?ना घर पर, ना ही ऑफिस में। हर तरफ भागा-दौड़। एक होड़ लगी थी समाज में सबकुछ पा लेने की, भौतिक सुख ही सब कुछ हो गया है।
गुड मॉर्निंग का संदेश देख कर,मैं थोड़ा सा हैरान हुआ।और परेशान भी हुआ।आखिर कौन है यह पूजा? मैंने भी हाय लिखकर पीछा छुड़ाने का प्रयास किया। पर तुरंत मैसेज आया कैसे हो, मेरी जान?ओह,मुझें लगा यह जरूर कोई पूजा बनकर मेरी परीक्षा ले रहा हैं। मुझे आगे नहीं बढ़ना चाहिए।वरना मेरा मजाक बन जाएगा। दूसरा मैसेज पहचाना नहीं क्या मेरी जान? कॉल कर सकती हो आप। नहीं सिर्फ फेसबुक पर ही चैट करुँगी।बहुत दिन से आपको सर्च कर रही थी, फेसबुक पर। पहले तो फेसबुक नहीं था इसलिए मैं अपने मन की बात आपको नहीं कह सकी। पर आज कह सकती हूँ।
आप मेरे कॉलेज के सहपाठी हो। मैं आपको बहुत पसंद करती थी पर कभी कह नहीं पाई कि आप मुझें इतने अच्छे लगते हो।मैंने भी सवाल कर दिया, आप शादीशुदा हो फिर भी। उसका जवाब था ,फिर भी क्या? जिससे प्यार हो उसे कह देना चाहिए।उस समय तो कह नहीं पाई थी समाज का डर जो था,ओके पूजा।
क्या तुम पूजा मिस्टर हो, जी हाँ।पहचान लिया आपने,आप भी मुझें देखते रहते थे।अब मैं हैरान हो रहा था कि उसने मुझें नोटिस कर लिया था।मैं अतीत में खो गया था जब मैं बीएससी फाइनल ईयर में था। एक हसीना, जिस पर पूरा कॉलेज ही फिदा था।सुंदर मोटी- मोटी आँखो वाली लड़की, बिल्कुल अप्सरा जैसी। सभी लड़के उसे देखकर आह भरते थे। मैं भी उसी कतार में था। पर मुझें कभी लगा ही नहीं कि मुझ जैसे साधारण डील-डोल वाले लड़के को। उसने कभी नोटिस किया होगा। पर आज सुनकर अच्छा लगा।
पूजा अब इन सब बातों से क्या फायदा, जब चिड़िया चुग गई खेत? उसने हँसते हुए कहा,क्या मेरा चिडा, अभी भी खेत चुगना चाहता है। मैं भी हँसे बिना नहीं रह सका। मैंने कहा, आपका परिवार हैं,मेरा भी परिवार हैं। उसने बड़ा सुंदर जवाब दिया।
अब तो सभी लोगों का परिवार सिर्फ फेसबुक ही हैं सभी फेसबुक पर ही चिपके रहते हैं।अगर फेसबुक में कुछ बुराई हैं, तो भलाई भी हैं जो मैं आज आपसे मिल सकी। हम मित्र तो रह ही सकते हैं फेसबुक पर। चलो कहो फेसबुक की जय हो। मेरे मुँह से भी अनायास ही निकल पड़ा। फेसबुक की जय हो।अच्छा ठीक हैं, मेरी जान।आज मैं भी फेसबुक को धन्यवाद दे रहा था।

राकेश कुमार तगाला

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