गीत/नवगीत

कुछ कोशिश अब भी बाकी है

“कुछ कोशिश अब भी बाकी है”

कुछ घाव पुराने बाकी हैं,
कुछ जख्म पुराने बाकी हैं।
हासिल करना है मंजिल को,
कुछ कोशिश अब भी बाकी है।
कुछ घाव पुराने बाकी हैं…….

जीवन भर साथ निभाने में
साथ तेरा गर पाया होता।
तब धन्य समझती खुद को में,
अब धन्य समझना बाकी है।
कुछ घाव पुराने बाकी हैं……..

रिश्ता था दीपक बाती सा,
हर राह पर साथ तेरा चाहा।
बिन दीपक के बाती का क्या,
कुछ जीवन अब भी बाकी है।
कुछ घाव पुराने बाकी हैं………..

अटूट प्रेम का बंधन अपना,
कुछ पल में ही टूट गया।
उस टूटे रिश्ते के जख्मों को,
अभी भुलाना बाकी है।
कुछ घाव पुराने बाकी हैं………

जब था तू मेरे जीवन में,
हर दुःख से में बेगानी थी।
गया तू जबसे जीवन से,
अँखियों में पानी बाकी है।
कुछ घाव पुराने बाकी हैं………

जीवन के वो बीते हुए पल,
जो तेरे संग बिताये थे।
उन बीते हुए पलों की भी,
यादों को मिटाना बाकी है।
कुछ घाव पुराने बाकी हैं………

कुछ घाव पुराने बाकी हैं,
कुछ जख्म पुराने बाकी हैं।
हासिल करना है मंजिल को,
कुछ कोशिश अब भी बाकी है।

जूली परिहार

टेकचंद स्कूल के पास अम्बाह, मुरैना(म.प्र.) मोबाइल नं-8103947872 ईमेल आईडी[email protected]