कांग्रेस का बौद्विक स्तर बहुत ही निचले पायदान पर
इधर कांग्रेस के कई नेताओं के बयान आ रहे हैं, जिनसे यह साफ लग रहा है कि कांग्रेस का बौद्धिक स्तर बहुत निचले पायदान पर पहुंच गया है तथा ये नेता अपनी और कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी तथा उनके परिवार की टीआरपी को बढ़ाने की बजाय रसातल पर ले जा रहे हैं।
सर्वप्रथम कांग्रेस में अपने आपको दलितों का सबसे बडा मसीहा स्थापित करने के प्रयासों में लगे दलित सांसद उदित राज असम में मदरसों को बंद करने से इतने अधिक नाराज हो गये कि उन्होंने मदरसों को बंद करने की योजना के बदले में हिंदुओं की आस्था के सबसे बड़े मेला तीर्थ कुंभ पर ही हमला बोल दिया और कहा कि कुंभ पर 42000 करोड़ रुपये खर्च होता है यह सब बंद हो जाना चाहिए। इसके बाद भी उन्होंने कई ट्वीट किये लेकिन उसके बाद सोशल मीडिया पर अपना बुरा हाल देखने के बाद जब सफाई देने का प्रयास किया तब तक बहुत देर हो चुकी थी तथा उनके ट्विटर बयान पर कांगे्रस के खिलाफ देश में आक्रोश व्याप्त हो चुका था। कांग्रेस हिंदू विरोधी साबित हो चुकी थी। देशभर के संतों ने कांग्रेस से माफी मांगने की मांग कर डाली और अब तो कांग्रेस से ही दलित नेता उदित राज को बाहर का रास्ता दिखाने की मांग हो रही है। कुंभ पर बयान देकर कांग्रेस वाकई में फंस चुकी है।
अब हिंदू संगठन यह प्रचार करने लग गये हैं कि कांग्रेस हिंदू विरोधी है, सनातन संस्कृति की विरोधी है तथा समरस हिंदू समाज की भी घोर विरोधी है तथा वह दलितों तथा पिछडे़ समाज की भी विरोधी है। जनेऊधारी राहुल गांधी भी सनातनियों के निशाने पर आ गये। ये वही कांग्रेसी नेता हैं जो विगत प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए लालायित हो रहे थे तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की नकल उतारने के लिए तथा अपने आपको सनातनी दिखाने के लिए कुंभ में स्नान करने का पर्यटन करने गये थे ओर साथ ही हिंदू जनमानस का मजाक भी उड़ाते थे। कांग्रेस नेता उदित राज ने निश्चय ही सनातन हिंदू संस्कृति का ही नहीं अपितु दलित समाज का भी घोर अपमान किया है। आज उदित राज यदि सांसद बनने में सफल रहे हैं तो उसमें कहीं न कहीं भाजपा का ही योगदान रहा है।
कांग्रेस नेता उदित राज अब अपनी ही पार्टी में आलोचना का शिकार हो रहे हैं तथा दलित संगठनों ने भी कड़ी नाराजगी जाहिर की है। कांग्रेस के पूर्व विधान परिषद सदस्य सिराज मेंहदी ने उदित राज को पार्टी से तत्काल बाहर निकालने की मांग की है काग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पूर्व विधान परिषद सदस्य सिराज मेंहदी ने आरोप लगाया कि शीर्ष नेतृत्व को देखना चाहिए कि बिहार चुनाव और उप्र तथा मध्य प्रदेश के उपचुनाव के अवसर पर उदित राज का विवादित बयान किसके उद्देश्य की पूर्ति कर रहा है। करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़े धार्मिक आयोजन पर घटिया बयान से कांग्रेस को ही नुकसान होगा। बेहतर हो कि ऐसे लोगों को हाईकमान पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाये।
उदित राज के बयान पर पलटवार करते हुए उप्र अनुसुचित जाति वित्त एवं विकास निगम के चेयरमैन डा. लालजी प्रसाद निर्मल ने बताया कि कांग्रेस नेता ने दलितों की आस्था का अपमान किया है। महाकुंभ में अखाड़ा परिषद की ओर से दलित संत को महामंडलेश्वर की उपाधि दी गई। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सफाई कर्मियों के पैर धोकर दलितों को सम्मान देने का काम किया गया। यही नहीं उन्होंने अनुसूचित जाति के हित में किये गये कार्यों की याद दिलाई और कहा कि सच्चाई यह है कि उदित राज ग्राम प्रधान का चुनाव भी नहीं जीत सकते। अगर भाजपा ने टिकट न दिया होता तो वे कभी सांसद न बन पाते।
सोशल मीडिया पर भी उदित राज को जमकर ट्रोल किया गया तथा लोगोें ने लिखा कि अगर कांग्रेस की सरकार बनी तो कुंभ का मेला, दीपोत्सव का आयोजन, विजयादशमी का पर्व ही नहीं बंद हो जायेगा, अपितु हिंदू संस्कृति को भी कुचल दिया जायेगा। उदित राज के बयान ने सनातन हिंदू संस्कृति का घोर अपमान किया है तथा संत समाज लगातार माफी की मांग कर रहा है लेकिन जनेऊधारी राहुल गांधी को सांप सूंघ गया है। आज कुंभ का मेला पूरी दुनिया में विख्यात है। पूरे विश्व से लोग पवित्र गंगा नदी में आस्था की डुबकी लगाने आते हैं। कांग्रेसी उदित राज के बयान से यह साफ हो गया है कि आखिर भारत की पवित्र नदी गंगा आज इतनी अधिक अपवित्र और प्रदूषित क्यों हो गयी है। चैनलों पर बहस के दौरान चर्च व मस्जिदों में होने वाले सरकारी आयोजनों पर भी बहस करनी शुरू कर दी, तो सेकुलर ताकतें बगले झांकनें को मजबूर हो गयीं।
अभी उदित राज का कुंभ प्रकरण शांत भी नहीं हुआ था कि कांग्रेस के केरल के सांसद शशि थरूर ने लाहौर लिटरेचर फेस्टिवल में भारत विरोधी राग ही नहीं अलापा, अपितु प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की छवि को खराब करने के चक्कर में भारत का ही अपमान कर डाला है। शशि थरूर का बयान इतना अधिक शर्मनाक है कि भारत से प्यार करने वाले हर साधारण से अति साधारण नागरिक तक का सिर शर्म से झुक रहा है। पता नहीं ऐसे बुद्धिजीवी देश के सांसद कैसे बन जाते हें। लाहौर लिटरेचर फेस्टिवल मेें उन्होंने न सिर्फ नरेंद्र मोदी सरकार की प्रबंधन नीति की आलोचना की, अपितु यहां तक कह दिया कि कोरोना के खिलाफ सबसे अधिक सफल लडाई पाकिस्तान की सरकार ने लड़ी। उन्होंने तब्लीगी जमात पर भी बोला और पूर्वोत्तर राज्यों की जनता पर भी आपत्तिजनक टिप्प्णियां कर डाली।
ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनका दिल भारत के लिए नहीं अपितु भविष्य में खंड-खंड होने जा रहे पाकिस्तान के लिए धड़क रहा था। शशि थरूर मनमोहन सरकार में विदेश राज्य मंत्री रहे और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी उच्च पद पर आसीन रह चुके हें। शशि थरूर की बातों से भारत को बड़ी निराशा हो रही है तथा सौभाग्य है कि आज ऐसे लोग सरकार में नहीं है। कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी भी कोरोना पर मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना कर रही हैं तथा लोकतंत्र को सबसे बुरे दौर में बता रही हें। जबकि सच्चाई कांग्रेस के विचारों से बिलकुल अलग है। यह मोदी सरकार है जिसने कोरोना काल में 580 लाख से अधिक गरीबों को राशन दुकानों के माध्यम से निःशुल्क गेहूं और चावल वितरित करवाया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों ने विभिन्न संगठनों के माध्यम से समाज में सेवा कार्य चलाया। अगर इतने सेवा कार्य न चलाये गये होते, तब देश की क्या दुर्गति हुई होती इसकी कल्पना की जा सकती है। आज पूरा देश प्रधानमंत्री की एक आवाज पर पांच मिनट के लिए अपनी अपनी बालकनी पर तालियां और घंटी बजाने के लिए एकजुट हो गया था, लेकिन आज कांगेस की हालत यह हो गयी है कि उनकी बात लोग सुनना ही नहीं चाहते।
आज कांग्रेस का चरित्र इतना अधिक गिर चुका है कि उसने बिहार में विधानसभा चुनाव में जिन्ना समर्थक को टिकट दिया तथा मध्य प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भाजपा की महिला उम्मीदवार इमरती देवी को आइटम गर्ल कह दिया। यही नहीं वहां के नेता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान को भूखा नंगा कह रहे हें। वाकई आज कांग्रेस का बौद्धिक स्तर बहुत ही घटिया हो गया है तथा निचले पायदान पर पहुंच चुका है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कांग्रेस के कई नेता नहीं चाहते कि अब कांग्रेस फिर से सत्ता में वापसी कर सके।
कांग्रेस ने सबसे आत्मघाती प्रवृत्ति जम्मू कश्मीर को लेकर दिखायी है। अभी हाल ही में जम्मू कश्मीर में नजरबंदी से रिहा होने के बाद फारुक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व में छह दलों का नया मोर्चा बना हे जिसमें कभी एक दूसरे के धुर विरोधी रहे दलों का जमावड़ा है। आज एक होकर अनुच्छेद 370 की वापसी का सपना संजोये बैठे हैं। वहीं कांग्रेस इन लोगों की एकता को सलाम कर रही है और वह भी इन दलों की मांग पर बयानबाजी कर रही है तथा अलगावादियों ओर पाकिस्तान के साथ खड़़ी दिखलायी पड़ रही है।
कांग्रेस के बयान राष्ट्रीय हितों पर सीधा आघात कर रहे हैं कांगे्रस के सांसद व नेता देश की बुराई उस समय कर रहे हैं जबकि आज पूरा विश्व भारत की ओर देख रहा है तथा यह भारत ही है जिसने कोरोना महामारी के काल खंड में पूर विश्व को सहायता पहुँचाने का काम किया है तथा आज वसुधैव कुटुम्बकम् का नारा पूरे विश्व में धरातल पर उतरता दिखलाई पड़ रहा है। कोरोना काल में पूरा विश्व भारतीय सनातन संस्कृति को अपना रहा है चाहे नमस्कार हो या फिर योग और आयुर्वेद से लेकर दूध और हल्दी। भारतीय योग से ही कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़़ी जा रही है। लेकिन संभवतः कांग्रेस को भारत का विकास व मजबूत सनतान हिंदू समाज अच्छा नहीं लग रहा है। यही कारण है कि वह रसातल की ओर जा रही है। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद का सही कहना है कि अगर कांग्रेस का यही रवैया रहा तो वह अगले 50 साल तक सत्ता में वापसी नहीं कर पायेगी। रही बात जम्मू कश्मीर में 370 की वापसी की तो अब उसे इसके लिए 370 बार जन्म लेना पड़ेगा।
— मृत्युंजय दीक्षित