कविता

कुछ ख्याल यूँ ही आ गए

कुछ पुराने से
ख्यालों का यूँ ही
आ जाना
जाने अनजाने
कभी कभी तो
रुला भी जाना
अजीब सा लगता है ,,,
आखिर तुम आते ही क्यों हो ?
कोई निमंत्रण नहीं
कोई इरादा नहीं
बस सिर्फ हलकी सी कसक
और तुम तक सन्देश
क्या वाकई मेरे हबीब हो तुम
तो फिर इतनी जल्दी
जाते ही क्यों हो ?
सोचता हूँ
कई बार
कैद कर लूँगा तुम्हे
दिले-खुर्रम में
नहीं दूंगा
वहां से फिर जाने
बस यही इल्तजा होगी
कुछ करो ऐसा
आये सिर्फ वहीँ ख्याल
जो मेरा दिल चाहे
क्या ऐसा हो सकता है ?

दिले-खुर्रम-(प्रसन्न मन )
राजेश कुमार सिन्हा

राजेश सिन्हा

नाम –राजेश कुमार सिन्हा शिक्षा –स्नातकोत्तर (अर्थशास्त्र ) सम्प्रति –एक सरकारी बीमा कंपनी में वरिस्ठ अधिकारी निवास –मुंबई फिल्म और सामाजिक विषयों पर नियमित लेखन राष्ट्रीय स्तर की विभिन्न पत्र –पत्रिकाओं में हजार से अधिक रचनाएं प्रकाशित प्रकाशन –सिनेमा के सौ वर्ष पर “अपने अपने चलचित्र “ एक साझा काव्य संकलन –‘कुछ यूँ बोले एहसास’ का संपादन एक काव्य संकलन और “छोटा पर्दा –अतीत के आईने में” –प्रकाशनाधीन भारत सरकार के फिल्म प्रभाग के लिए दो दर्ज़न से अधिक डॉकयुमेंट्री फिल्मो के लिए कमेंट्री लेखन और एक फिल्म “दी ट्राइबल वीमेन आर्टिस्ट “ को नेशनल अवार्ड भी