कविता

घर परिवार

घर प्यार का मंदिर है,
घर ही पूजा है।
परिवार ही दुनिया है,
परिवार ही संसार है।
परिवार के सदस्यों में,
न हो आपसी उलझने।
आपसी रंजिशों को रखना ही,
मतभेदों को जन्म देता है।
परिवार ऐसा हो जहाँ छोटो से प्यार,
और बडों से स्नेह मिले।
और हो सबका आपसी लगाव।
परिवार वह नहीं है,
जहाँ परिवार के अनेक खण्ड हो।
परिवार में होनी चाहिए,
प्रेम की अखंडता।
परिवार अगर एक परिवार की तरह हो,
तो परिवार स्वर्ग कहलाता है।
आपसी मतभेद और बदले की भावना हो,
परिवार को नर्क बना जाता है।
आपसी मतभेदों की न हो कोई जगह,
प्रेम आदर और इज्जत ही
परिवार की एक मात्र विशेषता है।
हर कोई हो अपना,
परिवार में न हो कोई पराया।
आदर्शो की बेला पर टिका हो परिवार।
घर का मुखिया है बुनियाद,
इसे मजबूत करो।
मातृ सत्तात्मक और पितृ सत्तात्मकता ही
पहचान हो अपनी।
एकता में अखंडता है,
एकता में शक्ति।
एकता में ही नाम है परिवार का,
एकता ही है परिवार को
परिवार बनाऐ रखने की युक्ति।
खानदानी परिवार नाम बनाता है,
अच्छा परिवार अपनी पहचान बनाता है।
जिस परिवार में एकता हो,
वो परिवार समाज में सम्मान पाता है।
मिलजुल कर रहना ही,
परिवार के हर सदस्य को निखारता है।
आदेश सिंह राणा

आदेश सिंह राणा

पिता का नाम - श्री अत्तर सिंह माता का नाम - श्रीमती पवित्रा देवी शिक्षा - बीएससी व्यवसाय - छात्र जन्म तिथि - 01/05/1999 ग्राम - पमाड़ी पो० आँफिस - कलोगी (249171) तहसील - बड़कोट जिला - उत्तरकाशी (उत्तराखंड) सम्पर्क मो० - 9634966610 ई-मेल - [email protected]