कविता

संदेश

एक जमाना था,
राजाओं और महा राजाओं का।
उस जमाने संदेश,
कबूतर के जरीये पहुंचाया जाता था।
फिर जमाना लेखों और
अभिलेखों का आया….
संदेश उस जमाने
पत्थर को गोदकर दिया जाता था।
कई समय के बाद,
जमाना पत्र का आया…..
कोई स्याही लिखता,
तो कोई लिखता था खून से।
कोई लिखता था,
दिल की बातें…..
तो कोई लिखता था,
अपनी स्तिथि…….!
डाकिये को देखकर,
भागा करते थे हम भी….
सुनकर डाकिये की
साईकिल की घंटी।
चिट्ठी के आने का इंतजार
मैं बेसबरी से करते रहा था।
आयी तो बहुत कुछ कह दिया…..
कुछ एकांत में बैठकर मैं
बड़े ही दिलनसी से पढ़ने लगा…..
तार का जमाना भी,
फिर बीत गया धीरे-धीरे….
फिर मेल और फैक्स का आया जमाना।
फेसबुक की दस्तक मिली है,
अब तो व्हाट्सप से होती हैं बातें।
एक जमाने संदेश,
सदियों बाद मिला करता था।
अब के जमाने तो,
पलक झपकते पहुँच जाता है।
ये समय है…
न जाने कहाँ से कहाँ पहुंच जाता है।
सालों का इंतजार अब,
चंद सैकंड में खत्म हो जाता है।
 
   आदेश सिंह राणा 

आदेश सिंह राणा

पिता का नाम - श्री अत्तर सिंह माता का नाम - श्रीमती पवित्रा देवी शिक्षा - बीएससी व्यवसाय - छात्र जन्म तिथि - 01/05/1999 ग्राम - पमाड़ी पो० आँफिस - कलोगी (249171) तहसील - बड़कोट जिला - उत्तरकाशी (उत्तराखंड) सम्पर्क मो० - 9634966610 ई-मेल - [email protected]