कविता

सुनो पुरुष..

सुनो पुरुष….
मैं नहीं चाहती..
तुम बचाओ मुझे..
बस लोलुप ना बनो!
रक्षा करो मेरी..
बस भक्षक ना बनो!
कांटे चुनो मेरी राह के..
बस काँटे ना बिछाओ!
फूल बिछाओ मेरी राह में.. बस पत्थर ना चुनो!
हर मुश्किल काम खुद करो.. ! मौके दो हमें भी!
आसान सी राह दो मुझे..
मेरे पंखों को भी मजबूती दो! मुझे नहीं निकलना है,
तुम से आगे आगे..
मैं चाहती हूं,
बस इतना..
कि तुम,
साथ-साथ चलो!
मैं सशक्त हूं स्वयं!
तुम सिर्फ राह न रोको मेरी मेरी राह में कांटे न बुनो
रोको मत मुझे,
आजमाने से खुद को!
लड़ने दो मुश्किलों से…
और हो सके तो..
थोड़ी हिम्मत बढ़ाओ,
विश्वास करो मुझ पर.
और हो सके तो..
थोड़ा और जगा दो..
बढ़ा दो विश्वास!
बस कह दो इतना सा..
जाओ नहीं रोकूंगा मैं तुम्हें..
छू लो तुम..
अपना निजी आसमान! निखार लो अपना..
चट्टान सा व्यक्तित्व!
क्योंकि हम दोनों हैं समर्थ! सशक्त! पूर्ण!
बस इतना ही समझाना है..
तुम्हें !

 — अंजू अग्रवाल ‘लखनवी’

अंजू अग्रवाल

पति - अजय नाथ माता का नाम। - मनोरमा देवी जन्मतिथि - 29.12.1968 शिक्षा - एम. कॉम., एम.एड., एम.ए.(हिन्दी), एल.एल. वी.,यू.जी.सी. नेट व्यवसाय - शिक्षण साहित्य सेवा - कहानी, लघु कथा, कविता आलोचना आदि लेखन में सक्रिय अजमेर लेखिका मंच की सदस्य लेखन की विधा - लेख, कहानी, कविता आलोचना आदि साहित्य सेवा आपके लिये क्या है- स्वयं से वार्तालाप पसंदीदा साहित्यकार- मुंशी प्रेमचन्द पता- 7,गुलाब बाड़ी एन्क्लेव श्रीनाथ विवाह स्थल के पीछे,गुलाब बाड़ी अजमेर(राजस्थान)305007 ईमेल- [email protected]