लपंडूक बेटों ने ज्योतिषी की नाक कटवाई
अपने घर बच्चों को बेरोजगारी से बिहार के एक जिले के एक गांव संजौली के सीधे-साधे किसान हरेराम गोप जिन्होंने ने कड़ी मेहनत कर अपने घर के सभी बच्चों को देश के जाने-माने यूनिवर्सिटियों से शिक्षा दिलवाई थी बहुत परेशान रहते थे।उनके दरवाजे पर एक दिन वह ज्योतिषी पुनः पधारा जिसने कहा था तुम्हारे बच्चे शिक्षा दीक्षा पाकर बड़े-बड़े ओहदे पाएंगे। इसके लिए कई बार उनसे मोटी दान दक्षिणा भी प्राप्त किया था।
किसान:- बाबाजी मेरे घर के बच्चों को देश के प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटियों से पढ़ाई-लिखाई करने के बावजूद भी नौकरी क्यों नहीं मिल पा रही है ?
आपने जो हमें विश्वास दिलाया था वह सच साबित नहीं हुआ। बच्चे तो पढ़ाई लिखाई काफी मेहनत से किए पर नौकरी के इंतजार में उनका उम्र खत्म होने को है।
ज्योतिषी:- भक्त हमें लगता है तुम्हारे घर के बच्चों पर पर ग्रह-नक्षत्रों की काली छाया का प्रभाव चल रहा है।इस कारण से नौकरी मिलने में दिक्कत हो रही है।अन्यथा मेरा कहना कभी गलत नहीं होता है।
किसान:- इसका कोई निराकरण सुझायें महाशय!
ज्योतिषी:- ग्रह नक्षत्र को शांत करने के लिए विशेष अनुष्ठान करवाना होगा इसके लिए ग्यारह पुजारियों को उनके मन पसंद खाना खिलाना पड़ेगा और साथ ही दान-दक्षिणा भी देना होगा।
किसान का बेटा:- तुम्हारे कितने बच्चे हैं महाराज, वे क्या करते हैं ?
ज्योतिषी:-बच्चा मेरे चार सुपुत्र हैं वे तो अच्छे से पढ़ाई लिखाई नहीं किये। मैं कह कह कर थक गया पर उनके कान पर जूं नहीं रेंगा। लेकिन मैंने उन्हें किसी तरह डिग्री दिलवाई है।अभी सड़क पर आवारागर्दी करते फिर रहे हैं और जरूरत के मुताबिक कभी कभार पूजा पाठ करवाया करते हैं। मेरी भी किस्मत खराब है।
किसान का बेटा:- अच्छा तो महाराज आपके जो चार बेटे हैं उनको नौकरी क्यों नहीं मिल रही?
ज्योतिषी:- भक्त हमारे बेटे सरकार के गलत आरक्षण नीति के कारण बेरोजगार हैं।अगर आरक्षण नहीं होता तो मैं उन्हें कब के नौकरी पर भेज दिया होता। देखो ना संस्कृत विद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों की बहाली भी नहीं हो रही है इससे भी परेशानी चल रही है।
किसान का बेटा:- जब हमें नौकरी नहीं मिल रही तो ग्रह गोचर का प्रभाव है। पर क्या तुम्हारे बेटे का ग्रह गोचर सब ठीक है जरा उसकी भी जांच कर लिया करो बाबा! नहीं तो तुम्हारे बेटे जिंदगी भर लपंडूक रह जाएंगे। हमें क्या खेतों में काम कर जिंदगी का गुजर-बसर कर लेंगे।
ज्योतिषी:- उत्तेजित मत हो भक्त हमारे बेटों के लिए हर वर्ष हजारों पूजाघर बन रहे हैं जहां वे पूजा पाठ कराकर अपनी जिंदगी आराम पूर्वक व्यतीत कर लेंगे।
किसान:- बाबा क्या हमारे पुत्रों को पूजा कराने की नौकरी कहीं नहीं लग सकती ?
ज्योतिषी:- नहीं भक्त फिर खेती और मजदूरी कौन करेगा ? फिर तो हम भूखे मर जाएंगे। पूजा पाठ कराना हमारी खानदानी पेशा है। यह हमें भगवान मनु का दिया हुआ आशीर्वाद है। तुम लोगों का कर्तव्य खेती किसानी करना और हमारे जरूरत की वस्तुओं का उत्पादन करना है। तुम लोग उपजाते हो तब हम खाते हैं। सबका कर्म बंटा हुआ है। खेती मज़दूरी करना एक महान काम है भक्त।
किसान का बेटा:- बाबा तुम अपने बेटे-बेटियों को भी क्यों नहीं खेतों में काम करने के लिए बोलते हो जब खेती करना एक महान और नेक काम है। उस महान काम से अपने बेटे-बेटियों को दूर क्यों रखते हो ?
ज्योतिषी:- भक्त हमारे बेटे बहुत मासूम हैं। उनके हाथों में छाले पड़ जाएंगे। उनसे खेती का कार्य नहीं हो सकेगा। उनका शरीर खाया-पिया है। वे मजदूरी नहीं कर सकते।
किसान का बेटा:- बाबा हम अनाज पैदा करते हैं, दूध का उत्पादन करते हैं, फल का उत्पादन करते हैं, सब्जी का उत्पादन करते हैं और इन सब का सबसे शुद्ध और ताजे रूप में प्रयोग करते हैं। तो फिर हमारा शरीर मासूम हुआ या तुम्हारे बेटे का जो हमारे द्वारा दान किए गए टुकड़े पर पलते हैं ?
ज्योतिषी:- इसीलिए हम कहते हैं किसान अपने बेटों को विद्यालय न भेजें नहीं तो वे नास्तिक हो जाएंगे।देखो यह उद्दंड बालक ज्योतिष पुत्रों को खेती और मजदूरी करने के लिए कह रहा है।
किसान:- बाबा हमें माफ कर दें हमारा बेटा अभी नासमझ है इसलिए ऐसा बोल रहा है।
ज्योतिषी:- मैं तुम्हारे बेटे को श्राप दे दूंगा अगर तुम अभी ताजे फल और सब्जियां, दूध और अन्न का दान नहीं करोगे।
किसान का बेटा:- पिताजी हम लोग हमेशा कहते थे न यह ज्योतिष आप को ठगने आता है देख लीजिए जब हम अच्छे विश्वविद्यालय से पढ़ कर बेरोजगार हैं तो ग्रह नक्षत्र का दोष बता रहा है और इसका बेटा मैट्रिक में चार चार बार फेल हुआ उसके बाद मध्यमा से पास हुआ तो वह आरक्षण के कारण नौकरी नहीं ले पा रहा है। जब हम ने जवाब दिया तो उल्टा आपसे फल दूध सब्जियां और अन्न मांग रहा है। इसे जितना जल्द दरवाजे से भागने के लिए कहिए नहीं तो हम से बुरा कोई नहीं होगा।
ज्योतिषी:- अब हम तुम्हारे दरवाजे पर नहीं आएंगे तुम्हारे बेटा हमारा अपमान कर रहा है।अगर हमारे बेटे मैट्रिक में चार बार फेल हो गए तो क्या वे तो ज्योतिष पुत्र हैं नहीं हर जगह आदर सम्मान के साथ पूजा भी किया जाएगा।
हरे राम गोप:- गुस्से में; बाबा मैं अब आपके कलुषित विचार औ मानसिकता को भली-भांति पहचान गया हूं। हमारे बच्चे हमें सही बोलते थे कि बाबा ठग हैं पर मैं ही दकियानूसी विचारधारा में फंसा रहा और अपने मेहनत की कमाई तुम जैसे ठगों पर उड़ाता रहा। जितना जल्द हो हमारे दरवाजे से तशरीफ वापस ले जाइए और आइंदा हमारे दरवाजे की तरफ भूलकर भी कदम नहीं रखियेगा नहीं तो हम से बुरा कोई नहीं होगा।
ज्योतिष किसान के कड़कती आवाज सुनते ही समझ गया अब यहां हमारा दाल गलने वाला नहीं है वह अपना पोथी पत्रा लेकर खिसक गया। और अपने आप को कोसने लगा। हमारे लपंडूक बेटों ने आज हमारी बेइज्जती करा दी। ऐसी संतान किसी के घर में जन्म न लें जिसके कारण माता पिता को अपमान सहना पड़े।अगर आज हमारे बेटे भी अच्छी तरह से पढ़ाई लिखाई किए होते तो हमें यह अपमान नहीं सहना पड़ता आखिर मैं भी तो अपने बच्चों के लिए ही झूठ सच बोल कमाने के लिए गली गली मारा चलता हूं। मैं भी बेवकूफ निकला अगर दूसरे के भाग्य बांचने की जगह अपने बेटों के भाग्य बनाने के लिए मेहनत करता तो शायद आज ये लपंडूक बेटे मेरी नाक नहीं कटाते।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम