अलविदा
ख्वाहिशों को संजों कर,
चलो अब दिल खोलकर जीएँ!
दिल के ग़ुबार को छोड़ कर,
चलो थोड़ा खुशियों की ओर बढ़ें!
सारे दर्द और ग़म भुला कर,
चलो अब थोड़ा खुलकर हँसे!
शिकवे-शिकायतें दूर कर
चलो अब एक नया सफ़र चुने!
कोरोना ने जो सीख दी
चलो उससे सीखें और समझें!
साल का आखरी महीना होने को आया
चलो इसे मुस्कुरा के अलविदा कहें!
~रूना लखनवी