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डॉ अंबेडकर महापरिनिर्माण दिवस पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी

चिड़ावा 8 दिसम्बर। देश की प्रतिष्ठित संस्था राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा भारत रत्न डॉ बी आर.अंबेडकर जी के महापरिनिर्माण दिवस पर “डॉ.अंबेडकर चिंतन के विविध आयाम और उनकी प्रासंगिकता” विषय पर केंद्रित अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें देश – दुनिया के अनेक विद्वान वक्ताओं और साहित्यकारों ने भाग लिया।   संस्था की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार शेल चंद्रा,धमतरी ने स्वागत उद्धबोधन दिया, एवं संगोष्ठी का संयोजन व बेहतरीन संचालन शिक्षाविद डॉ मुक्ता कान्हा कौशिक ने किया।
 संगोष्ठी के प्रमुख अतिथि वरिष्ठ प्रवासी साहित्यकार, पत्रकार एवं अनुवादक सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक,(नॉर्वे) ने कहा डॉ. अंबेडकर को भारत के साथ दुनिया के तमाम देशों में महान समाज सुधारक, विद्वान और न्यायविद् के रूप में जाना जाता है। उन्होंने पूरी दुनिया को समानता और बन्धुत्व की नई राह दिखाई।
        मुख्य वक्ता अंतरराष्ट्रीय ख्यातिनाम विचारक,चिंतक, लेखक एवं संस्कृतिविद् प्रोफेसर शैलेंद्र कुमार शर्मा ने कहा कि डॉ अंबेडकर के चिंतन के आयाम अत्यंत व्यापक हैं। वे श्रेष्ठ विचारक ही नहीं, महान कर्मयोद्धा भी थे। उनके विचारों में भेदभाव रहित मानवीय विश्व की रचना का संदेश अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने सामाजिक और आर्थिक लोकतंत्र को राजनीतिक लोकतंत्र से अधिक महत्वपूर्ण माना है, जो स्वतंत्रता, समानता और बन्धुत्व पर टिके हों। उन्होंने वर्ण, जाति, नस्ल, रंग जैसे समस्त प्रकार के विभेदकारी तत्त्वों से मुक्त होने की राह दिखाई।
   संगोष्ठी के विशिष्ट अतिथि शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता व वरिष्ठ पत्रकार डॉ.शंभू पंवार, झुंझुनू ने कहा कि डॉक्टर अंबेडकर जी समानता के लिए प्रतिबद्ध रहे। प्रत्येक व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध हो, इसके लिए उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने भारतीय समाज के व्याप्त कुरीतियों और वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध उद्घोष किया।
सामाजिक क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए प्रयास किसी भी दृष्टिकोण से आधुनिक भारत के निर्माण में भुलाए नही जा सकते जिनकी प्रासंगिकता आज तक जीवंत है।
 विशिष्ट अतिथि हिंदी भाषा पाठ्यक्रम पुस्तक मंडल पुणे की विशेषाधिकारी डॉ. अलका पोद्दार कहा कि डॉक्टर अंबेडकर स्त्रियों की शिक्षा और समाज में समानता के पक्षधर थे। उन्होंने हिंदू कोड बिल लागू कर अविस्मरणीय योगदान दिया। भौतिक गुलामी से मानसिक गुलामी अधिक घातक है, इस बात की ओर उन्होंने संकेत दिया। विधिसम्मत संविधान से भारत की एकता और अखंडता परिपूर्ण हो रही है।
डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे ने कहा कि डॉ.साहेब भारतीय समाज के शुभचिंतक और स्वाभिमानी व्यक्तित्व के धनी थे। वे व्यक्ति पूजा के विरोधी थे। उन्होंने सामाजिक जकड़न को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए।
विशिष्ट अतिथि शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता व वरिष्ठ पत्रकार डॉ.शंभू पंवार, झुंझुनू ने कहा कि डॉक्टर अंबेडकर जी समानता के लिए प्रतिबद्ध रहे। प्रत्येक व्यक्ति को विकास के समान अवसर उपलब्ध हो, इसके लिए उन्होंने महत्वपूर्ण कार्य किए। उन्होंने भारतीय समाज के व्याप्त कुरीतियों और वर्ण व्यवस्था के विरुद्ध उद्घोष किया।
सामाजिक क्षेत्र में उनके द्वारा किये गए प्रयास किसी भी दृष्टिकोण से आधुनिक भारत के निर्माण में भुलाए नही जा सकते जिनकी प्रासंगिकता आज तक जीवंत है।
विशेष वक्त,डॉ.आशीष नायक, रायपुर ने कहा युग प्रवर्तक,महान विभूति,दूरदर्शिता व्यक्तित्व ने शोषित वर्ग को ऊंचा उठाने के लिए जीवन भर संघर्ष किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी. के. शर्मा ने कहा कि डॉ अंबेडकर की दृष्टि अत्यंत व्यापक थी। उन्होंने सामाजिक विषमता को समाप्त करने के लिए अविस्मरणीय प्रयास किए।
कार्यक्रम की संकल्पना और  डॉक्टर अंबेडकर के अवदान पर  महासचिव डॉक्टर प्रभु चौधरी ने प्रकाश डाला। प्रारंभ में सरस्वती वंदना साहित्यकार डॉ लता जोशी, मुंबई ने की। स्वागत गीत पूर्णिमा कौशिक, रायपुर ने प्रस्तुत किया। प्रतिवेदन  डॉ गरिमा गर्ग ने प्रस्तुत किया। अतिथि परिचय डॉक्टर मनीषा सिंह, मुंबई ने दिया।
अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में  संस्था की राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर सुवर्णा जाधव,डॉ प्रतिभा ऐरेकर, डीपी शर्मा, डॉ रश्मि चौबे, डॉ.संगीता पाल, कच्छ, डॉ सुषमा कोंडे,डॉ. ममता झा, मुम्बई, डॉ शिवा लोहारिया, जयपुर, डॉ रोहिणी डाबरे, अहमदनगर आदि सहित अनेक प्रतिभागियों ने भाग लिया। अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉ मुक्ता कौशिक, रायपुर ने किया। आभार प्रदर्शन वरिष्ठ साहित्यकार अनिल ओझा, इंदौर ने किया।
— डॉ शम्भू पंवार

शम्भू पंवार

ब्यूरो चीफ ट्रू मीडिया, दिल्ली चिड़ावा, 8058444460 [email protected]