मैं सब सीखूँगा
मैं सब सीखूँगा
मैं चिड़ियों के गीत सुनूँगा
मैं चिड़ियों के गुण गुनूँगा
चहक-चहक कर उनका उड़ना
भिन्न-भिन्न ध्वनि में उनका कहना
मैं सब सीखूँगा …
सवेरे-सवेरे पूरब की लाली देखूँगा
बाग-बगीचों में तितलियों के पर गिनूँगा
पत्तों पर बिखरीं चाँदी सी ओस की बूँदें
जाग उठीं कोमल कलियाँ जो थी आँखें मूँदें
मैं सब सीखूँगा
मैं सब देखूँगा …
मोर-मोरनी का मनोरम नृत्य
नीड़ निर्माण बया का अदभुत कृत्य
भँवरों का मधुर गान
पपीहे की अमर तान
मैं सब देखूँगा …
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा