साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर
*जबलपुर,आज दिनांक 17/12/2020 को साहित्यिक मित्र मंडल जबलपुर द्वारा आॅनलाइन भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना हेमा जैन के मधुर स्वरों में किया गया ।सम्मेलन का विषय ” क्यों हो वृद्धाश्रम ” था।जिसमें रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम से मार्मिकता से परिपूर्ण अपने भावों को अपनी कविताओं में पिरोकर सम्मेलन में सबको भाव विभोर कर दिया ।सम्मेलन में उपस्थित सभी वृद्धाश्रम का विरोध करते हुए कहा कि वृद्धाश्रम नहीं होना चाहिए । कार्यक्रम की संचालन निक्की शर्मा ” रश्मि ” व गजेन्द्र हरिहारनो द्वारा सफलता पूर्वक किया गया ।कार्यक्रम की मुख्य अतिथि निशा अतुल्य अध्यक्षता चन्दा डांगी ने उद्बोधन में कहा कि आज दुखःद यह है कि संयुक्त परिवार से एकांकी परिवार की ओर बढ़ते युग में हमने बुजुर्गों का ध्यान रखना बंद कर दिया है। दादी-नानी की कहानियां विलुप्त हो गई हैं। दादाजी या नानाजी के कंधे पर बैठकर मेला देखने जाते बच्चे अब कहीं नजर नहीं आते।संस्था संस्थापक श्री विनय पांडे जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जब एक मां-बाप अपने बच्चों का पहला कदम उठाने में हाथ की अंगुली थामकर उनकी मदद कर सकते हैं, तो बच्चों का भी यह फर्ज बनता है कि माता-पिता के आखिरी समय में उन्हें सहारा दें। आपने शायराना अंदाजा में कहा कि -*
*”हमने यह दुनिया सरायरफानी देखी*
*हर चीज यहां आनी-जानी देखी*
*आके न जाए वो बुढ़ापा देखा*
*जाके न आए वो जवानी देखी।*
*आखिरी समय में माता-पिता को सहारा दें”*
*संरक्षक श्री विनोद पांडे जी ने कहा कि बच्चे जब विदेश में स्थापित हो जाते हैं, तो उनका ध्यान सिर्फ पत्नी और बच्चों तक सीमित हो जाता है और माता-पिता यहां एकांकी जीवन जी रहे होते हैं। अगर आज हम देखे तो विदेशों से अपने माता-पिता के लिए बच्चे जो पैसा भेजते हैं लेकिन इस पैसे का कोई इस्तेमाल बुजुर्गों के लिए नहीं है अगर बच्चे उनके पास नहीं है। देश के कई हिस्सों में तो इस पलायन की वजह से हालात यहां तक पहुंच गए हैं कि बीमारी से लड़ते-लड़ते बुजुर्ग दुनिया छोड़ चले जाते हैं और उनके पार्थिव शरीर अपने बच्चों के वतन लौटने का इंतजार करते रहते हैं।कार्यक्रम आयोजिका हेमा जैन ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया ।सम्मेलन में वाराणसी, दिल्ली,रूड़की भोपाल, कोलकाता, मध्यप्रदेश, प्रयागराज, बांदा इत्यादि जगहों से कवि सम्मेलन में रचनाकार जुड़े रहे ।सम्मेलन का आरंभ 4:25 से शाम 7:30 बजे समाप्त हुआ ।कार्यक्रम को सफल बनाने में वरिष्ठ कवि गण व संस्था के समस्त पदाधिकारी सम्मेलन में बने रहे*।