गीतिका/ग़ज़ल

आशा

कठिन है काल पतझड़ का,समय यह बीत जाने दो।
खिलेंगे फूल खुशियों के,मधुर मधुमास छाने दो।

अभी निस्तब्ध है रजनी,शिथिल चारों दिशाएँ हैं।
विहग का गान गूँजेगा,सुखद नवप्रात आने दो।

उदधि की शांत है हलचल,पुन: ये सिन्धु गरजेगा।
किसी तूफान को उन्माद में लहरें उठाने दो।

रुधिर का वेग धीमा है,थकित हैं इन्द्रियाँ सारी।
बहेगी आग प्राणों में,नई आशा जगाने दो।

दहकता ग्रीष्म जीवन में,विकट है वेदना मन में।
मिटेगी प्यास तन-मन की,घटा खुशियों की छाने दो।

कमल मुरझा गए सर में,हँसेंगे ये पुन: खिलकर।
उदय सूरज का होने दो,तिमिर जग से मिटाने दो।

तपिश से तप्त है धरती,सजेगी फिर से हरियाली।
बजेगा राग उपवन में,भ्रमर को गुनगुनाने दो।

घिरी रजनी अमावस की,तिमिर चहुँओर छाया है।
बिछेगी चाँदनी जग में,गगन में चाँद आने दो।

व्यथा से ग्रस्त है जीवन,दृगों से नीर झरता है।
खिलेगा हास्य अधरों पर,विकट दुर्दिन को जाने दो।

बहेगी ईश की करुणा,विफलता भी सुखद होगी।
जलाकर ज्योति श्रद्धा की,उन्हें मन में बसाने दो।

— निशेश अशोक वर्धन

उपनाम—निशेश दुबे

निशेश दुबे

रचनाकार--निशेश अशोक वर्धन उपनाम--निशेश दुबे ग्राम+पोस्ट--देवकुली थाना--ब्रह्मपुर जिला--बक्सर(बिहार) पिन कोड--802112 दूरभाष सं--8084440519