किसानों पर खूब चली कलम की धार
भारत कृषि प्रधान देश है। किसानों की अहम भूमिका रही है हम सभी के लिए अगर किसानों को देश का सैनिक कहा जाए तो बेहतर है।किसान अगर खेती ना करें तो हर नागरिक भूखा रह जाएगा। किसान समाज की रीढ़ है। किसानों की व्यथा फिर भी कोई नहीं समझता उचित कदम नहीं उठाए जाते जिस वजह से किसान बदहाली की हालत में होते हैं और आत्महत्या तक की नौबत आ जाती है। एक वक्त का खाना भी मुश्किल हो जाता है उनके लिए। आखिर क्यों? और क्या किया जा सकता है किसानों के लिए? अपनी बातें रचनाओं के माध्यम से आम जनता तक समाज तक पहुंचाने का काम किया पेपरविफ ने।
पेपरविफ ने एक प्रतियोगिता का आयोजन किया जिसमें रचनाकारों को लेखन के लिए विषय दिया गया “किसानों की व्यथा”। इस विषय पर रचना कारों ने खुलकर अपनी कलम की धार चलाई। एक से बढ़कर एक आलेख, कविताएं सामने आई। किसानों के प्रति अपने भावों को सभी ने कागज पर उकेर दिया। समाज के सामने उनकी लेखनी ने हर बात को हर वह पहलू को सामने रखा जिससे किसान आज जूझ रहे हैं। प्रतियोगिता में सौ से भी ज्यादा आलेख, कविताएं आई जिसमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय का चयन करना काफी मुश्किल रहा फिर भी जजों ने अपना काम ईमानदारी से किया और तीन विजेताओं का चयन किया। प्रथम समिता सक्सेना, द्वितीय शिल्पी और तीसरा स्थान अनीता भारद्वाज को मिला। पेपरविफ की टीम ने सभी को शुभकामनाएं दी आगे और आगे भी अच्छे आयोजन लाने की घोषणा भी की।