एक चुटकी उम्मीद की !!
ये हौसला है न
इसको मैंने नजरें उठाकर
देखा भी नहीं,
पर जितनी बार टूटती हूँ मैं
उतनी बार इसे
अपने आस-पास ही देखती हूँ !
…
एक चुटकी उम्मीद की
बजाना कभी
उदासियां भी खिलखिलाकर
गले लग जाती हैं
खामोशियाँ बतियाने लगती हैं
आपस में
और मन चल पड़ता है
एक नई डगर पे !!