चलो एक अखबार निकालें
चलो चलें जी हम सब मिलकर
एक अखबार निकालेंगे।
जो खबर न कहीं जगह पाती है
उसे हम इस में डालेंगे,
गरीब,मजदूर,किसान,नौजवान
के लिए जगह बनाएंगे।
जिनके दिल की बातें दब जाती हैं
उसे हम दुनिया को पढ़ाएंगे,
चलो चलें जी हम सब मिलकर
एक अखबार निकालेंगे।
खबर लिखेगा मंगरा,पढ़ेगी बुधिया,
शनिचरा से चित्र बनवायेंगे,
व्यक्ति-व्यक्ति में कुछ हुनर छुपा है
उसे हम एक मंच दिलाएंगे।
अपनी खूबी दिखा दुनिया में हम
एक नई पहचान बनायेंगे,
चलो चलें जी हम सब मिलकर
एक अखबार निकालेंगे।
खेती गृहस्ती और गांव गिरांव के
फटेहाली के हाल दिखाएंगे,
नहीं हुआ निराकरण अगर जो
फिर कोई उपाय निकालेंगे।
आंख कान मुंद जो सत्ता में बैठे हैं
उनकी सच्चाई सामने लाएंगे,
चलो चलें जी हम सब मिलकर
एक अखबार निकालेंगे।
खेती बाड़ी की खूब तस्वीर छपेगी
विशेषज्ञों की राय बताएंगे,
पशुपालकों के परेशानियों को भी दूर
करने का उपाय निकालेंगे।
परेशानियों को दूर करके
उन्हें हम समृद्ध बनाएंगे,
चलो चलें जी हम सब मिलकर
एक अखबार निकालेंगे।
जल जंगल जमीन लूटने वालों के
चेहरे से नकाब उतारेंगे,
फिर भी अगर वे नहीं सुधरे तो
अखबार को हथियार बनाएंगे।
बिचौलियों और पूंजीपतियों के
षड्यंत्र का काट बताएंगे,
चलो चलें जी हम सब मिलकर
एक अखबार निकालेंगे।
न लगेगा किसी के बिकने का आरोप
खुद को समर्थवान बनाएंगे,
वंचित दलित के मन की पीड़ा को
हमसब मिलकर आगे लाएंगे।
ढूंढ कर के कोई उपाय कहीं से
पीड़ितों को न्याय दिलाएंगे,
चलो चलें जी हम सब मिलकर
एक अखबार निकालेंगे।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम