गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

साल दर साल यूँ गुजरते हैं।
ख़्वाब हर बार कुछ सँवरते हैं।

काश!उल्फत निभा सको तुम भी,
जिस्म क्या जाँ तलक़ निखरते हैं।

ज़िन्दगी में रहे सदाकत ही,
ये दुआ बेपनाह करते हैं।

शूल सा क्यों मिज़ाज रखना है,
फूल बनकर चलो बिखरते हैं।

गर खुशी का ‘अधर’ समां हासिल,
ग़म कहाँ पास तब ठहरते हैं।

— शुभा शुक्ला मिश्रा ‘अधर’

शुभा शुक्ला मिश्रा 'अधर'

पिता- श्री सूर्य प्रसाद शुक्ल (अवकाश प्राप्त मुख्य विकास अधिकारी) पति- श्री विनीत मिश्रा (ग्राम विकास अधिकारी) जन्म तिथि- 09.10.1977 शिक्षा- एम.ए., बीएड अभिरुचि- काव्य, लेखन, चित्रकला प्रकाशित कृतियां- बोल अधर के (1998), बूँदें ओस की (2002) सम्प्रति- अनेक समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में लेख, कहानी और कवितायें प्रकाशित। सम्पर्क सूत्र- 547, महाराज नगर, जिला- लखीमपुर खीरी (उ.प्र.) पिन 262701 सचल दूरभाष- 9305305077, 7890572677 ईमेल- [email protected]