“मिली” रंगों की परी
माँ-पापा के आशीर्वाद से मिला “मिली” को
“आनंद जी “का प्यार
“लिली” के आ जाने से
फिर हो गई ख़ुशियों की भरमार
रंग,संगीत,ख़ुशबू से बना है उसका संसार
खुद पढ़ती,दूसरों को पढ़ाती
यही उसका व्यापार
कितनी भी मुश्किलें आईं जीवन में
कभी ना मारी हार
अजनबी की भीड़ में
अपना सा एहसास दिला गई
अपनी मुस्कान से सब ग़म भुला गई
“रंगो की परी” जो “मिलीं” मुझको
मुरझाए हर फूल खिला गई
काग़ज़ों और रंगो को ज़िंदा रखने
का हुनर रखती है
ये “मिलीं” है जो उदास को
हंसाने का हुनर रखती है
बच्चों के बीच ढूँढती है ज़िंदगी
हर मुश्किलों में मुस्कुराने
का हुनर रखती है
छुपा कर कुछ मन में
पर बताती नहीं है
ग़म भी हो ग़र दिल में
वो किसी को जताती नहीं है
कलियाँ भी उससे अच्छा
मुस्कुराती नहीं है….!!!
(सीक्रेट सैंटाक्लास की तरफ़ से)
— डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट