समाचार

आयोजन : लोकतत्व की शक्ति और मिठास : पहलाजी चोर में

शारदा साहित्य समिति – निकुम जिला दुर्ग-छत्तीसगढ़ ( भारत ) के तत्वावधान में आयोजित साहित्यिक कार्यक्रम दिनांक – 30/12/2020 दिन -बुधवार को ग्राम- गाँधी नगर अण्डा ( दुर्ग ) में युवा साहित्यकार व अंग्रेजी शिक्षक टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला” के छत्तीसगढ़ी कहानी संकलन “पहलाजी चोर” का विमोचन हुआ। कार्यक्रम श्री डाॅ. दीनदयाल साहू जी वरिष्ठ साहित्यकार व हरिभूमि-चौपाल अखबार ( रायपुर ) के सम्पादक के मुख्य , सीताराम साहू जी “श्याम” राष्ट्रपति पुरस्कृत प्राचार्य लोकगायक व गीतकार ( बालोद ) के विशेष आतिथ्य एवं डाॅ. दादूलाल जोशी जी “फरहद” ( राजनांदगाँव ) की अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ। सर्वप्रथम अतिथियों द्वारा ज्ञान की देवी माँ वागेश्वरी के तैल-चित्र की पूजा-अर्चना की गयी। समिति अध्यक्ष चंद्रिका प्रसाद देशमुख ( दुर्ग ) ने सस्वर-संगीतमय माँ सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। आयोजक समिति के द्वारा समस्त अतिथियों का श्रीफल, प्रतीक चिह्न व शाल भेंटकर स्वागत-सम्मान हुआ। तत्पश्चात कहानीकार टीकेश्वर सिन्हा ने स्वागतोत्बोधन के साथ कहानी संकलन “पहलाजी चोर” का परिचयात्मक विचार रखा।

फिर विशेष अतिथि की आसंदी पर विराजित सीताराम साहू जी “श्याम” ने अपनी शुभकामना संदेश में कहा कि कहानीकार टीकेश्वर सिन्हा जी ने प्रस्तुत कहानी संग्रह में ग्राम्य जीवन की घटित घटनाओं का कथात्मक रूपांतरण किया है, तथा लोकतत्व की शक्ति और मिठास भी है। सद्नोहरा, मया-पिरीत, नियाव, अबोला, बड़े थारी, गरुवा के सुध, समय न होत एक समान, तिजहारिन, तिरंगा के नीचे खड़े हँव इसी तासीर की कहानियाँ हैं, जिसमें लोकजीवन के ताने-बाने तथा राष्ट्रीय चेतना के उद्दात भाव भी गुंफित है। मैं लेखक के प्रति मंगल कामना करता हूँ कि वे कहानीकार के रूप में ख्याति प्राप्त करें। उनकी लेखकीय पिपासा सदा बनी रहे। अध्यक्षता करते हुए डाॅ. दादूलाल जोशी जी “फरहद” ने कहानी संग्रह को  तात्विक दृष्टि से पूर्ण होने की बात कही। छत्तीसगढ़ी ग्रामीण संस्कृति व परम्परा सारी संग्रह में देखने को मिलती है। प्रेम , एकता व भाईचारे का अनूठा संगम है पहलाजी चोर। संकलन की नियाव, मोला कभू पति झन मिलै, सेत के जोत-जँवारा जैसी कहानियाँ शराबखोरी, नारीदुष्कर्म, पशु बलिप्रथा जैसे अनैतिक व असामाजिक कर्मों के दुष्परिणाम का सबक सिखाती हैं। “अबोला” कहानी पति-पत्नी के आत्मीय संबंध असंतुलित होने पर पारिवारिक-सामाजिक भयवाह परिणाम को अवगत कराती है तो पाठकों के समक्ष शीर्षक कहानी “पहलाजी चोर” के मातृभूमि-स्नेह की पृषठभूमि को खोलती है। अतिथि-उद्बोधन श्रंखला के अंत में मुख्य अतिथि डाॅ. दीनदयाल साहू जी ने कहानी के संबंध में कहानी की ठेठ भाषा-शैली में ही अपना विचार रखा – ” टीकेश्वर सिन्हा”गब्दीवाला” के कहानी संग्रह “पहलाजी चोर” ग्रामीण परिवेश ल अधार बना के लिखे गे हावय। सिन्हा जी गाँव के रहइया आय। गाँव के संस्कृति मं जीयत हे। येकरेसती कहानी मं आय बोली-भाखा मन ठेठ गाँव के बोली आय। ये कहानी-संग्रह मं बीस कहानी  संग्रहित हावय , जेमा गिव के नता-गोता, रहन-सहन, संस्कृति ल बने चित्रण करे हावय। कहानी लिखे मं जेन परिपाटी के जरूरत होथे, वोहा ए मेर  कहानीकार के लेखनी मं देखे बर मिलथय। अइसने सदनोहरा, इंदरमन के काठी मा, नवा बिहान, लेड़गा, साढ़े तीन हाथ जमीन, मं गाँव के परम्परा के निर्वहन देखे बर मिलथे। टीकेश्वर जी बड़ शुभकामना हे ए संग्रह खातिर। आगू घलो ये हर अपन लेखनी लै अइसने ढंग  ले पाठक मन के बीच लावत रह ही। ”
कार्यक्रम के द्वितीय चरण के अंतर्गत काव्यगोष्ठी में आयोजक समिति के कवियों – देवेन्द्र कुमार सिन्हा, प्यारेलाल देशमुख, राजकुमार चौधरी, कैलाश कुआँरा, नवीन तिवारी, ओमप्रकाश जयसवाल, देवदास रौना, भानुप्रताप कुंजाम, भूखन तिवारी, दरवेश आनंद, तुलसी देशमुख द्वारा राजनीति, सामाजिक परिवेश, तीज-त्यौहार, आनलाइन शिक्षा तथा कोविड 19 पर कविताएँ पढ़ी गयी। टीकेश्वर सिन्हा समस्त कवियों का अबीर अभिषेक व लेखनी भेंटकर सम्मान किया गया है। कार्यक्रम के दर्शक-श्रोता वृंद में साहित्यानुरागी , ग्रामीण गणमान्य नागरिक – सेवानिवृत्त शिक्षक बुद्धेश्वर सिन्हा, दीनदयाल साहू, रेखलाल साहू गुमान सिन्हा, रोशन साहू, श्रीमती पूनम सिन्हा, मीना साहू व ग्राम्यप्रबुद्ध जन की उपस्थिति तथा नन्हे-मुन्नें – सुनीधि, काव्यशिखा, एशिका, मनोरम, यश, सोमित, पप्पू, बिट्टू की भागिदारी रही।

— टीकेश्वर सिन्हा “गब्दीवाला”

टीकेश्वर सिन्हा "गब्दीवाला"

शिक्षक , शासकीय माध्यमिक शाला -- सुरडोंगर. जिला- बालोद (छ.ग.)491230 मोबाईल -- 9753269282.