लॉक डाउन के चलते आँगन में गिलहरी का बच्चा आगया।वो बहुत ही छोटा वापस अपने घर पर जाने में असमर्थ।आँगन में बिल्ली भी घुमा करती।डर था कही बिल्ली गिलहरी के बच्चे को कही पकड़ ना ले।कुछ देर बाद बिल्ली अचानक आगई औऱ गिलहरी के बच्चे को पकड़ने झपटी जब देखा तब भगाया।गिलहरी का बच्चा बगीचे की झाड़ियों में छुप गया। पत्नी को आँगन में वो ही बच्चा दिखाई दिया वो उसे संभाल कर घर मे ले आई।उसने टोकरी में रुई बिछा कर उसके रहने का कर दिया।और उसके पीने के लिए दूध,पानी और पिलाने के लिए ड्रापर ले आई।पानी, दूध पिलाया।हमारे रिश्तेदार का छोटा बच्चा जिसका नाम घरेलू ‘काजू’ है।उसे जब मालूम हुआ कि गिलहरी का बच्चा है।तो उसे खिलाने के लिए रोज उसके पास ही आता।सब ने मिलकर गिलहरी के बच्चे का नाम ‘किशमिश’ रख दिया।काजू से उसकी गहरी दोस्ती होगई।काजू जब किशमिश कर आवाज देता तो वो गिलहरी का बच्चा तुरंत अपने दोस्त की आवाज सुनकर उसकी गोद मे जा बैठता।वो काजू औऱ उसकी आवाज को पहचानने लग गया।सोचता हूँ ,यदि पत्नी इसको नही संभालती तो बिल्ली इसे खा जाती। यदि बच भी जाता तो ये भूख प्यास से मर जाता।इसकी जान बचाने पर ये अब घर का सदस्य बन गया।औऱ छोटे बच्चों का राज दुलारा। कोरोना संक्रमण में चल रहे लॉकडाउन में दूरी का ख्याल रखा जाता। किशमिश बड़ा होने लगा।काजू से कहा कि तेरा दोस्त किशमिश लॉकडाउन खुलते ही बड़ा होकर अपने घर उसकीमम्मी -पापा के पास चला जायेगा।वो उसे पहचान कर उसके घर ले जाएंगे।काजू ये सुनकर उदास होकर रोने लगा।किशमिस औऱ काजू की दोस्ती इतनी मजबूत हो गई कि काजू कहने लगा ये मेरा दोस्त है।जब जब भी इसके साथ खेलने का मन होगा।मै इसको किशमिश करके आवाज लगाऊंगा तो मेरा दोस्त मेरे पास आ जायेगा।और मै स्कूल में जब खुलेंगे तो अपने दोस्तों को किशमिश गिलहरी की बातें बताऊंगा। अभी तक तो ये किशमिश हमारे पास ही औऱ काजू बालक किशमिश गिलहरी के पास।किशमिश गिलहरी एक दिन बाहर गई तो वापस नहीं आई। शायद उसे उसके परिवार में सम्मिलित हो गई हो ,खैर ये सेवा लॉक डाउन में की जिसका अनुभव व सेवा एक पुनीत कार्य है।
— संजय वर्मा ‘दृष्टि’