गीत/नवगीत

किसान पूछ रहे सवाल

सबको दिखता किसानों को खाते पिज़्ज़ा पराठा,
बताओ महीनों से चल रहा संघर्ष हमारा कहां है।
लंबे-लंबे आलेख  लिखे हो हुक्मरानों  के पक्ष में,
किसानों के हक में तुम्हारा विचार छुपा कहां है।
सबको दिखता किसान आंदोलन से हुई परेशानी,
कोई बता कर्ज में डूबे किसानों की खबर कहां है।
लगातार कलम घींस रहे हो धनपशुओं के पक्ष में,
नीलाम होते जल जंगल जमीन की खबर कहां है।
सबको दिख रहा किसानों  के कीमती कपड़े-जूते,
आत्महत्या करने वाले किसानों की खबर कहां है।
गला फाड़कर चिल्लाते हो किसान हो रहे गुमराह,
लोकतंत्र के पहरूओं के अकड़ की खबर कहां है।
सबको दिखता आंदोलन के पीछे विपक्ष की चाल,
पूंजीपतियों के पीछे कौन है इसकी खबर कहां है।
चीख चीख कर कह रहे हो कृषि कानून  हैं अच्छे,
इसके विरोध में हो रहे शहादत  की खबर कहां है।
सबको दिखता किसानों द्वारा हो रहा है तोड़फोड़,
हुक्मरानों द्वारा सड़क खोद देने की खबर कहां है।
अगर अच्छा कानून तो  किसान क्यों आंदोलनरत,
देश आज पूछ रहा सवाल इसका  जवाब  कहां है।
सबको दिखता किसानों द्वारा आवागमन ठप हुआ,
कंक्रीट द्वारा सड़कों की घेराबंदी की खबर कहां है।
हाड़ कंपाने वाली ठंड  में किसान बैठे हैं सड़क पर
बातचीत करने की  जगह  हुक्मारान छुपा कहां है।
सबको दिखता किसान विरोधियों के सह पर अड़े,
विवाद के समाधान की व्यग्रता  की खबर कहां है।
नये कृषि कानून वापस लेने की लिए जिद कर रहे,
किसानोें के सवाल सत्ताधीशों की उदारता कहां है।
— गोपेंद्र कु सिन्हा गौतम

गोपेंद्र कुमार सिन्हा गौतम

शिक्षक और सामाजिक चिंतक देवदत्तपुर पोस्ट एकौनी दाऊदनगर औरंगाबाद बिहार पिन 824113 मो 9507341433