पूरा नाम (लघुकथा)
“हाँ तो, नाम क्या है तुम्हारा?” आगंतुक से कुर्सीधारी ने सवाल किया।
“जी, महेश।” खड़े-खड़े ही विनम्रता पूर्वक जवाब दिया आगंतुक ने।
“अरे पूरा नाम बता….।” कुर्सीधारी ने शब्दों को छानने की कोशिश की।
“जी, महेश कुमार।”
“अरे आगे भी कुछ लिखता होगा…।” अब कुर्सीधारी के स्वर में कड़कपन था।
महेश कुर्सीधारी के चेहरे के भावों को पढ़ने की कोशिश कर रहा था और कुर्सीधारी उंगलियों में पैन को नाचता हुआ महेश के पूरे नाम का इंतजार कर रहा था।
— विजय ‘विभोर’