तीन मुक्तक
दिन आया अति पावन पवित्र
मकर संक्रांति की खुशियां फैलीं सर्वत्र
उड़ेगीं आकाश में नीली -पीली पतंग
सब जन मिलकर पढ़ो मानवता का मंत्र
नहाओ भोर-भोर, कमाओ पुण्य-धर्म
करो गंगा, यमुना, कावेरी से पावन कर्म
खाकर तिल – लड्डू ,मूँगफली – गजक
सब जन समझो त्योहारों का मर्म
दान-धर्म कर जीवन सफल बनाओ
चलो – चलो साथी गंगा में डुबकी लगाओ
हाथ जोड़ ईश्वर से करो प्रार्थना
सबका हो कल्याण, हमारा भी बेडा पार लगाओ
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा