गजल
सफ़र में रहो तुम ,मुलाकात होगी,
मिलोगे अगर तो बहुत बात होगी।
हैं चंदा ये तारे बहारों की दुनिया,
अगर तुम हो तो फिर हसीं रात होगी।
नहीं मेरे बस में मेरा मन है देखो,
मुझे थाम लो तो ये सौगात होगी।
तुम्हारे बिना मैं अधूरी हूँ साजन,
मिलो जो अगर वस्ल की रात होगी।
बदल दे ये मौसम हसीं ख़्वाब सच हों,
‘किरण’ मेरे रब की करामात होगी।
— प्रमिला मेहरा किरण