गीत/नवगीत

बारंबार प्रणाम है

प्रहरी बने, खड़े सीमा पर,
सैनिक वीर जवान हैं।।
भारत की संप्रभुता का जो,
करते सदा सम्मान हैं।।
हिन्द देश पर न्योछावर ,
देते हंस कर जो प्राण हैं।।
ऐसे रण बांकुरों को मेरा,
बारंबार प्रणाम है।।
स्वर्णाक्षरों  में  पन्नों पर,
भारत ने रचा इतिहास है।।
वीरों के शौर्य,पराक्रम का ,
फैला चहुंओर प्रकाश है।।
सन इकहत्तर विजय दिवस पर ,
भारत करता अभिमान है।।
छलनी कर दुश्मन का सीना,
वीरों ने राष्ट्र का बढ़ाया मान है।।
— माधवी उपाध्याय

माधवी उपाध्याय

जमशेदपुर, झारखंड