देश में महिला सशक्तिकरण का उदाहरण प्रस्तुत करती महिलाएं
दो दिन पूर्व मैंने एक बड़े समाचार पत्र में पढ़ा कि वर्तमान भारत की महिलाएं कैसे खुद को कैसे सिद्ध कर रही हैं। एक साक्ष्य सामने आया है, कि रेलवे में किस प्रकार से महिलाओं ने अपना सशक्तिकरण प्रस्तुत किया, जिसके अंतर्गत देश में पहली बार मालगाड़ी चलाने वाली एक महिला है और मालगाड़ी में पायलट से लेकर गार्ड तक सभी महिलाएं ही हैं।
भारतीय रेलवे के इतिहास में नया रिकॉर्ड कायम हुआ है, जिसमें पहली बार मालगाड़ी को चलाने वाली महिलाएं हैं यह मालगाड़ी मंगलवार 8 जनवरी 2021 को भारत से महाराष्ट्र के पालघर जिले के वसई रोड स्टेशन से माल लेकर गुजरात के वडोदरा पहुंची। इन महिलाओं में लोको पायलट कुमकुम डोंगरे (34), सहायक लोको पायलट उदिता वर्मा ( 28)और गुड्स गार्ड आकांक्षा रे (29) रहीं।
मालगाड़ी में 43 बंद वैगनों में 3686 टन का माल बड़ोदरा पहुंचा। अपने इस काम को महिलाओं ने बखूबी तरीके से पूरा किया। जिस पर पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने “पश्चिम रेलवे में एक और परंपरा तोड़ने की बात कही”। इस तरह महिलाओं के सशक्तिकरण का बहुत बड़ा उदाहरण इतिहास में दर्ज हो गया।
अगर हम पुराने समय की बात करें तो महिलाओं को हमेशा ही कमजोर, दूसरों पर आश्रित रहने वाली और किसी भी बड़े काम को संपन्ना कर सकने वाली समझा गया है । जिस वजह से उन्हें अशिक्षित रखा गया। उनकी अशिक्षा और कुछ हद तक रूढ़िवादिता के चलते जितना बढ़ना चाहिए, उतना नहीं बढ़ सकी। अशिक्षा को समझ सकते हैं जिसमें महिला का पूरा मानसिक विकास नहीं हो पाता। लेकिन रूढ़िवादिता वह दीमक है, जो शिक्षित होने पर भी सब कुछ नष्ट कर देती हैं। इन सबके चलते महिलाओं को समय-समय पर अपने सशक्तिकरण को प्रस्तुत करना पड़ा और उसने किया भी है। उसी का नतीजा है कि आज की महिला किसी भी क्षेत्र में पुरुष से पीछे नहीं है बल्कि पुरुष के साथ है और अपने सशक्तिकरण का परिचय देते हुए इतिहास रचते जा रही है।
लेकिन एक कड़वा सत्य यह भी है कि इतना सब होने के बाद भी पुरुष के अनुपात में महिलाओं के विकास का अनुपात कम ही है। सत्य यह भी है कि परिस्थितियां हमेशा बीच में आती रही है और आती रहेंगी लेकिन हमें (महिलाओं) को समझना होगा कि हम किस तरह से उन परिस्थितियों से भागकर नहीं बल्कि उनका सामना कर आगे बढ़े और अपने सशक्तिकरण को प्रस्तुत करें ।
अब इन सब में हमारा परिवार, हमारा समाज, हमारी सरकार आदि सभी हमारे सहयोगी हैं। सल्यूट भारत की नारी।
— लक्ष्मी सैनी