गीतिका/ग़ज़ल

गीतिका

विश्व हिंदी दिवस पर दिली बधाई स्वीकारें मित्रों…..जय माँ शारदा!

“गीतिका”

हिंदी की पहचान पूछते, बिंदी का अपमान पूछते
दशों दिशाओं में है चर्चित हिंदी का नुकशान पूछते
लूटा है लोगों ने भारत बोली भाषा हुई नदारत
अंग्रेजों ने बहुत सताया मुगल तुग़ल घमसान पूछते।।

भारतीय भाषा न्यारी है फिर भी अंग्रेजी प्यारी है
मन को मोड़ दिए आक्रांता तुम उनका अहसान पूछते।।

कितने घाव दिए दुष्टों ने जननी को रक्खा कष्टों में
इतिहास को तोड़ा मोड़ा क्यों उनका ईमान पूछते।।

हिंदी को क्या मिला राजसुख बहनों के घर है अब भी दुख
दिल की गहराई से बोलो छद्म छत्र बइमान पूछते।।

विश्व पटल पर छाई हिंदी भाल भाल पर चमकी बिंदी
जलन हो रही क्यों सीने में पापी तुम दिनमान पूछते।।

यह ऋषियों का देश रे ‘गौतम’ इज्जत से ले आए सौतन
है हिंदी की अमर कहानी, शब्दों से सम्मान पूछते।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ