प्यारी सी गौरैया
प्यारी सी गौरैया तोरे अंगना कैसे आऊँ ?
मक्खनबाज ,मतलबी मानव को कैसे समझाऊँ ?
अंगना में लागो पेड़ कटायो ,
अंगना अरू तरू से विहीन ,
घर नीड़ कहाँ पे बनाऊँ ?
प्यारी सी गौरैया…
छज्जा के नीचे नीड़ बनायो डंडा मार के नीड़ गिरायो
गिरो नीड़ भू , फूटे अँडा चीं चीं कर बिलखाऊँ
प्यारी सी गौरैया..
धन के लालच में तुम आयो मोबाईल टावर लगवायो
अनदेखा करने पर मैं निशि दिन घटती जाऊँ
प्यारी सी गौरैया …
— रामधनी सिंह ‘निर्मल’
(संकलन – निर्मल कुमार शर्मा)