हाइकु
कर दो दान
है मकर संक्रांति
मिटती भ्रांति।।-1
लो बधाई
खिचड़ी खवाई
शादी सवाई।।-2
तिल पापड़ी
गर्म आग तापनी
गुड़ के लड्डू।।-3
मधुर ख्वाब
बसंत की सुमारी
फूलों से यारी।।-4
हिन्दू त्यौहार
सु स्नेह की बौछार
श्रद्धा अपार।।-5
— महातम मिश्र ‘गौतम’ गोरखपुरी