धर्म-संस्कृति-अध्यात्म

राम

 अयोध्या में जन्म लिया और राजा बने ।
 कहानी यहीं पर खत्म हो जाती अगर कैकयी ,मंथरा अपना किरदार न निभाती। ।
राम को वनवास दिलाया कठोर माँ कहलाई ।
राम के वियोग में पति ने प्राण त्याग दिये ,पति की हत्यारिन भी कहलाई।
जब तक सृष्टि रहेगी यह कलंक ढोती रहेगी …अपमानित होती रहेगी ।।
कैकयी के त्याग को समझ न सका हर कोई …उदाहरण देकर नारी को समझाते रहे हर कोई कि जब तक स्वयं का मन कैकयी न हो कोई मंथरा भडका नही सकती ।।
आज प्रभु श्रीराम के प्रमाण विश्व के कोने  कोने मे पाये जा रहे हैं क्या सम्भव होता फिर …
सारे जगत के कल्याण के लिये पग पग पहुंचना जरूरी था जो बिना वनवास के पूर्ण न होता ।
जिस दुष्ट रावण से उसने अपने पति को बचाया था उस रावण का अन्त कैसै होता ।।
कैसै राम का यश चारों दिशा मे फैलता ।।
खुद कलंकित होकर राम की महिमा कण कण में बसा गई।।
राम जो चल दिये सब छोडकर ,
साथ सीता भी चल दी  पति धर्म निभाने.. लक्ष्मण भाई भी चल दिये ।
नही चल सकी तो उर्मिला, वियोग सहना स्वीकार किया नही तो लक्ष्मण राम के प्रति अपना भाई धर्म न निभा पाते।।
*किसी ने सबाल किया था राम ने रावण का वध किया या हत्या ?*
हत्या स्वयं के स्वार्थ पूरी करने हेतु की जाती है …पर मानवता और धर्म की रक्षा के लिये वध किया जाता है ।
प्रभु भी मानव रूप में थे , बिना सहयोग के कोई कार्य पूरा न होता , हनुमान ,सुग्रीव और उनकी सेना के सहयोग से रावण वध किया ..
अब फिर से राम को राज सत्ता का सही अर्थ समझाने के लिये सीता का सहारा लेना पड़ा ।
फिर से त्यागी गई, अन्तिम परीक्षा देने से इन्कार कर दिया था , रो पडी थी सीता स्त्री का जन्म लेकर , प्रभु से कहती है ….  स्त्री के जीवन में कितनी परीक्षाएं लिख दी प्रभु ।
वह तो ईश्वर थे …
लेकिन आज भी जब जब स्त्री पुरूष के हित के लिये कुछ कहती है तो टोकी जाती है कि पराये घर की है फलाना ठिमका… दोष मढ दिया जाता है उस पर ।
पुरूष गलत है या सही …बात यह नही है ,
स्त्री के कार्य  ,भावनाओं ,त्याग का सम्मान कीजिये बस कलंकित मत कीजिये ।।
हर स्त्री सूर्पनखा नही होती …जो सूर्पनखा हो उसके नाक कान काटने की पूरी छूट है ।।
— रजनी चतुर्वदी (बिलगैयां)

रजनी बिलगैयाँ

शिक्षा : पोस्ट ग्रेजुएट कामर्स, गृहणी पति व्यवसायी है, तीन बेटियां एक बेटा, निवास : बीना, जिला सागर