गायों को आश्रयहीन अथवा बेसहारा बोला जाए
आवारा गायों को अब कहा जाएगा आश्रयहीन ख़बर पढ़ी।जयपुर नगर निगम सेंटर प्रशासन ने प्रशंसनीय निर्णय लिया है।इस तरह आश्रयहीन अथवा बेसहारा बोले जाने का निर्णय हर जगह इस्तेमाल होना चाहिए। देखा जाए तो मप्र मेंगोवंश के संरक्षण के लिए प्रदेश में बनेगी गो केबिनेट की खबर सुर्खियों में आई थी।गो संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक अच्छी पहल है।ये बात भी सामने आई कि विदेशों में गाय को गले लगाने का चलन जोरों पर चल रहा है।इसके द्वारा वे स्वयं को तनाव ,अवसाद मुक्त होकर स्वस्थ्य महसूस कर रहे है।इस प्रयोग के लिए वे हजारों रुपये खर्च कर रहे है।हमारे यहाँ प्राचीन काल से ही स्पर्श,और गले लगाया जाता रहा। साथ ही गो माता के महत्व को जाना जाता रहा। गाय का दूध रसायन का कार्य करता है। वैज्ञानिकों शोध की एवं धार्मिक ग्रंथों में ऐसी जानकारियां दर्शित है | गौमाता का खयाल रखना और उसकी सेवा करना आवश्यक है | साथ ही उन्हें आवारा शब्द बोलने से परहेज करना होगा।