कविता

बलिदान

श्रद्धा से हर मस्तक झुक जाये
 वीरों का बलिदान अमर हो जाये
 मां भारती के पावन चरणों में,
 कितने भगत,
 कितने आजाद,
 कितनी सुभाष,
 कितनी अशफाक,
कितने बिस्मिल बलिदान हुए |
आओ साथी प्रण कर लेवें
मातृभूमि हित शीश सदा निज हथेली रख लेवें
राजनीति के दलदल से निकल
तिरंगा की आन, मान, शान पर मर मिटें |
सांस-सांस अर्पण
सदा बनेगी रहेगी अखण्डता हमारी
हुंकार भरो ऐसी
दुश्मन घिघिआये
कायर बन बिल में छुप जाये |
आओ वीरों निज रक्त से सींच दो
अपना प्यारा भारत चमन
धर्म, जाति, मजहब की दीवारें तोड़
कदम ताल दे सीमा पर डट जाओ
दुश्मन की छाती पर गाड़ तिरंगा
भारत माता की जय
जय हिंद… के नारे खूब लगाओ |
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा 

मुकेश कुमार ऋषि वर्मा

नाम - मुकेश कुमार ऋषि वर्मा एम.ए., आई.डी.जी. बाॅम्बे सहित अन्य 5 प्रमाणपत्रीय कोर्स पत्रकारिता- आर्यावर्त केसरी, एकलव्य मानव संदेश सदस्य- मीडिया फोरम आॅफ इंडिया सहित 4 अन्य सामाजिक संगठनों में सदस्य अभिनय- कई क्षेत्रीय फिल्मों व अलबमों में प्रकाशन- दो लघु काव्य पुस्तिकायें व देशभर में हजारों रचनायें प्रकाशित मुख्य आजीविका- कृषि, मजदूरी, कम्यूनिकेशन शाॅप पता- गाँव रिहावली, फतेहाबाद, आगरा-283111