बलिदान
श्रद्धा से हर मस्तक झुक जाये
वीरों का बलिदान अमर हो जाये
मां भारती के पावन चरणों में,
कितने भगत,
कितने आजाद,
कितनी सुभाष,
कितनी अशफाक,
कितने बिस्मिल बलिदान हुए |
आओ साथी प्रण कर लेवें
मातृभूमि हित शीश सदा निज हथेली रख लेवें
राजनीति के दलदल से निकल
तिरंगा की आन, मान, शान पर मर मिटें |
सांस-सांस अर्पण
सदा बनेगी रहेगी अखण्डता हमारी
हुंकार भरो ऐसी
दुश्मन घिघिआये
कायर बन बिल में छुप जाये |
आओ वीरों निज रक्त से सींच दो
अपना प्यारा भारत चमन
धर्म, जाति, मजहब की दीवारें तोड़
कदम ताल दे सीमा पर डट जाओ
दुश्मन की छाती पर गाड़ तिरंगा
भारत माता की जय
जय हिंद… के नारे खूब लगाओ |
— मुकेश कुमार ऋषि वर्मा