कविता

मिटने का सवाल नहीं

मै साहिल पर लिखी हुई इबादत नहीं,,
जो लहरों से मिट जाऊं,,
मै बारिश की बरसती बूंदे नहीं जो,,
बरस के थम जाऊं,,
मै कोई ख़्वाब नहीं जिसे देख के भुला दिया जाऊं,,
मै हवा का झोंका नहीं जो आऊं और गुजर जाऊं,,
मै चांद नहीं जो रात के बाद ढल जाऊं,,
मै तो वो एहसास हूं ,जो तुझमें लहू बन कर गर्दिश करे,
मै वो रंग हूं जो तेरे दिल पे चड़ा रहे ,कभी ना उतरे,
मेरे मिटने का सवाल ही नहीं ,,
क्यों की मै तेरी मुक्कमल मुहब्बत का हल बन जाऊं,,
— इंजी. सोनू सीताराम धानुक ‘सोम ‘

इं. सोनू सीताराम धानुक "सोम"

पता - शिवपुरी (मध्य प्रदेश ) शिक्षा - बी.ई. (सिविल ) पेशा - सिविल इंजीनियर, स्केच आर्टिस्ट, पेंटर, लेखन (हिंदी उर्दू शायरी, कविता, व्यंग्य )