मैं “मिली”
मैं “मिली”
हवाओं से बातें करती हूँ
सपनो की दुनिया में
रंगो को भरती हूँ
मैं “मिली”
खोई खोई सी रहती हूँ
ज़िन्दगी से उलझती हूँ
दिल की सुनती हूँ
मैं “मिली”
आसमान से बातें करती हूँ
फूलों की मुस्कुराहट को
काग़ज़ पर उकेरती हूँ
मैं “मिली”
चिड़िया सी चहकती हूँ
चंचल-शोख़ सी थी कुछ
खामोशी से अब बातें रखती हूँ
मैं “मिली”
तारों से सुलझती हूँ
बादलों सी बरसती हूँ
काग़ज़ को कलम से सजाती हूँ
मैं “मिली”
खोई खोई सी रहती हूँ………..!!
— डॉक्टर मिली भाटिया आर्टिस्ट