कविता

प्रेरणा स्त्रोत

वो ही हैं आसमान मेरे और वो ही हैं सागर की गहराई,
दुनियादारी की सीख मुझे, मेरे पिता ने ही है सिखलाई,
वो ही हिमालय मेरे, अडिग रहने की क्षमता उनसे पाई,
हिम्मत वो मेरी, तूफ़ानों से लड़ने की शक्ति उनसे पाई,
शक्ति वो मेरी, कमज़ोर पड़ी तो उन्होंने हिम्मत बंधाई,
विजय-पथ वो मेरे, जीत की राह भी उन्होंने दिखलाई,
सहारा भी वो मेरे, लड़खड़ाते कदमों को उँगली थमाई,
प्रकाश भी वो ही मेरे, अंधकार में ज्योति की लौ जलाई,
शिक्षक वो ही मेरे, जीवन के ना जाने कितने पाठ पढ़ाए,
हौसला वो मेरे, हार न मानने का मंत्र भी उन्होंने बताए,
विश्वास वो ही मेरे, डर के आगे जीत का हौसला दिलाए,
जोश वो मेरे, लक्ष्य तक पहुँचने का आत्मविश्वास जगाए,
उनकी शिक्षा से, आजीवन लाभान्वित मैं होती ही रहूँगी,
प्रेरणा स्त्रोत वो मेरे, उनके जैसी ही इंसान मैं भी बनूँगी।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

रत्ना पांडे

रत्ना पांडे बड़ौदा गुजरात की रहने वाली हैं । इनकी रचनाओं में समाज का हर रूप देखने को मिलता है। समाज में हो रही घटनाओं का यह जीता जागता चित्रण करती हैं। "दर्पण -एक उड़ान कविता की" इनका पहला स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त बहुत से सांझा काव्य संग्रह जैसे "नवांकुर", "ख़्वाब के शज़र" , "नारी एक सोच" तथा "मंजुल" में भी इनका नाम जुड़ा है। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। ईमेल आई डी: [email protected] फोन नंबर : 9227560264