कविता

शिक्षा

शिक्षा में संस्कार, आचार-विचार, पूरा जीवन दर्शन समाया है,
जिसके भाग्य में नहीं, वो सूखी नदी की तरह तरसता पाया है,
ज्ञान-विज्ञान, आयुर्वेद, शिक्षा की खोज और उसी के खजाने हैं,
इन्हीं के दम पर विकास की ओर कदम बढ़ रहे अब हमारे हैं,
कोशिश यही हो, भारत के हर नागरिक को शिक्षित करना है,
ज्ञान की ऐसी गंगा बहाना है, तैर कर पार सभी को करना है,
शिक्षा के अनमोल खजाने से, क ख ग के मोती सभी को मिलें,
कोई अँगूठा ना लगाए काग़ज़ पर, हस्ताक्षर अपने सभी करें,
शिक्षा प्राप्ति के बाद हम सभी को, सही मार्ग ही अपनाना है,
भटकों के साथ भटक कर, हमें भी पथभ्रष्ट नहीं हो जाना है,
ये ज्ञान के मोती बहुमूल्य हैं, इन्हें अंदर तक आत्मसात करें,
बुरे ख़्याल भी आएं मन में, उनका जीवन वहीं समाप्त करें,
शिक्षा हरगिज़ नहीं सिखलाती हमको, आपस में बैर रखना,
सद् विचारों से भरा हुआ है, हर किताब का हर एक ही पन्ना।
रत्ना पांडे, वडोदरा (गुजरात)

रत्ना पांडे

रत्ना पांडे बड़ौदा गुजरात की रहने वाली हैं । इनकी रचनाओं में समाज का हर रूप देखने को मिलता है। समाज में हो रही घटनाओं का यह जीता जागता चित्रण करती हैं। "दर्पण -एक उड़ान कविता की" इनका पहला स्वरचित एकल काव्य संग्रह है। इसके अतिरिक्त बहुत से सांझा काव्य संग्रह जैसे "नवांकुर", "ख़्वाब के शज़र" , "नारी एक सोच" तथा "मंजुल" में भी इनका नाम जुड़ा है। देश के विभिन्न कोनों से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र और पत्रिकाओं में इनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। ईमेल आई डी: [email protected] फोन नंबर : 9227560264